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संचार: स्वरुप, पक्ष एवं विशेषताएँ (Communication: Nature, Features and Characteristics)

संचार: स्वरुप, पक्ष एवं विशेषता

संचार (Communication) लैटिन ‘Communis’ शब्द से निकला हुआ है, जिसका अर्थ है ‘to share’ (साझा करना) होता है। जब हम लोग किसी सूचना, ज्ञान व विचार को किसी दूसरे को साझा करते हैं तो यह संचार कहलाता है। प्रचलित अर्थ में संचार पद से आशय दो व्यक्तियों के मध्य परस्पर वार्तालाप, संवाद टेलीफोन पर वार्ता, संबंधियों मित्रों से पत्र व्यवहार, टेलीविजन, रेडियो पर किसी कार्यक्रम को सुनना या देखना, इंटरनेट के माध्यम से ईमेल तथा अन्य वेबसाइट से सूचना प्राप्त करना है। मानवीय विचारों व अनुभूतियों की पारस्परिक आदान-प्रदान की प्रणाली को संचार कहा जाता है।

संचार के स्वरुप

संचार मानव की मूलभूत आवश्यकता है। संचार मानव समाज की वह धूरी है जिसके द्वारा मानव सामाजिक संबंधों का निर्माण तथा विकास करता है।

  • संचार के विकास का प्रथम पीढ़ी मानव की मौखिक संप्रेषण से हुआ जिसके फलस्वरूप भाषा का विकास हुआ।
  • द्वितीय पीढ़ी लिखित संचार युग की थी जिसके अंतर्गत हस्तलिपि में अनेकानेक ग्रंथ लिखे गए जो आज पांडुलिपि के रूप में हमारे बीच है।
  • क्रमशः मुद्रण कला का आविष्कार हुआ जिसके अंतर्गत अनेकानेक ग्रंथ का प्रकाशन किया गया।
  • चतुर्थ पीढ़ी संचार के विकास को दूरसंचार का युग कहा जाता है जिसके अंतर्गत टेलीग्राम (तार संप्रेषण प्रणाली) का अविष्कार हुआ बाद में बेतार वायरलेस संप्रेषण प्रणाली का विकास हुआ।
  • संचार का विकास पांचवी पीढ़ी जिसके अंतर्गत कंप्यूटर आधारित द्रुतगामी संचार प्रणाली का महत्व बढ़ गया है जिसमें ईमेल, इंटरनेट आदि के माध्यम से सूचनाओं का परस्पर संप्रेषण काफी तेजी से किया जा रहा है।

संचार के महत्वपूर्ण पक्ष

प्रक्रिया (Process) – संचार एक प्रक्रिया है इसका तात्पर्य यह है कि यह गतिशील और निरंतर चलते रहता है संचार का आरंभ बिंदु क्या है? और इसका अंत कब होता है? यह बताना बहुत ही कठिन है। हम संचार को किसी एक बिंदु पर रोक नहीं सकते है। अर्थात् यह गतिज है।

प्रणाली (System) – संचार किसी प्रणाली के अधीन होता है। किसी भी प्रणाली या तंत्र में अन्तरसंबंधी बहुत से अवयव होते हैं। संचार के मुख्य अवयव स्रोत, संदेश, माध्यम, संकेतक, प्रापक प्रतिक्रिया आदि होते हैं। (जिसकी विस्तृत चर्चा आगे क्या करेंगे)  उधारणस्वरूप कक्षा संचार में छात्र एवं शिक्षक संचार तंत्र के अवयव है साथ ही कक्षा वातावरण प्रभावी संचार के लिए आवश्यक है।

अर्थपूर्ण  (Meaningful) -संदेश या सूचना अर्थपूर्ण होना आवश्यक है।

संचार की विशेषता

संचार एक प्रक्रिया है जिसमें किसी सूचना, विचार, दृष्टिकोण, ज्ञान या भावनाओं इत्यादि का संप्रेषण संकेतों, शब्दों, चित्र, ग्राफ इत्यादि के माध्यम से किया जाता है। सूचना और संचार के बीच पारस्परिक संबंध है। बिना सूचना के संचार संभव नहीं है और न ही संचार के अभाव में सूचनाओं का संप्रेषण हो सकता है।

  • संचार एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति आपस में अर्थपूर्ण संकेतों के द्वारा एक दूसरे से परस्पर विचारों का आदान- प्रदान करते हैं।
  • संचार का लक्ष्य दूसरों को उत्साहित करना, सूचना प्रदान करना, राय देना, समाधान करना, आदेश देना, व्यवहार में परिवर्तित करना और दूसरों के साथ संबंध को बेहतर करना है।
  • संचार की प्रकृति गतिज होती है। अर्थात यह हमेशा सतत निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। साथ ही साथ समय एवं परिस्थिति के अनुकूल परिवर्तित होते रहते हैं।
  • संचार व्यक्तिगत स्तर पर/संदर्भ में संचार ज्ञान प्रदान करता है। यह व्यापारिक सफलता के लिए रास्ता बनाता है। यह व्यवहारिक तथा सामाजिक बनाता है।
  • संचार के माध्यम से समाज में लोगों को शिक्षित तथा विभिन्न प्रकार की सभ्यता व संस्कृति को ग्रहण करने योग्य बनाता है। नैतिकता तथा व्यवहारिकता के साथ-साथ व्यक्ति व समाज को वह बहुआयामी बनाता है। जिसके कारण एक दूसरे में सामाजिक सामंजस्यता का गुण विकसित हो पाता है।