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शिक्षा में आईसीटी (ICT in Education)

“ICT in Education – शिक्षा में आईसीटी”, ICT का फुलफोर्म Information and Communication Technology होता है। प्रस्तुत आलेख में शिक्षा में आईसीटी की भूमिका, शिक्षण में आईसीटी का अनुप्रयोग, शिक्षा में आईसीटी के उपयोग के साथ शिक्षा में आईसीटी के महत्त्व की विस्तृत रुपरेखा प्रस्तुत है।

शिक्षा में आईसीटी की भूमिका (Role of ICT in education)

ज्ञान शिक्षा की अभिन्न अंग है। ज्ञान एक सतत प्रवाह है। ज्ञान वह निश्चित जानकारी, विचार समूह है, जिसे मानव अर्जित कर सुरक्षित एवं संरक्षित कर इसे निरंतर दूसरे को प्रदान किया जाता रहा है। ज्ञान जगत अनंत, निरंतर, संवर्धनशील है। ज्ञान बहूआयामी है, जिसमें चिंतन, अध्ययन और अनुसंधान के द्वारा नवीन ज्ञान सृजन एवं नए विषयों की उत्पत्ति निरंतर होते रहती है।

कालांतर में आईसीटी के आविष्कार और विकास के साथ शिक्षा के क्षेत्र में इसका अनुप्रयोग आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य प्रतीत होता है। जिस प्रकार ज्ञान जगत में निरंतर अध्ययन और अनुसंधान के आधार पर ज्ञान में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है, उसी प्रकार आईसीटी के बढ़ते प्रचलन से शिक्षा के क्षेत्र में इसका अनुप्रयोग सार्थक संभव प्रतीत होता है। शिक्षा में आईसीटी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

इसके प्रयोग से दूरस्थ शिक्षा बेव-आधारित हो गया है। जिससे ऑनलाइन प्रवेश से लेकर पढ़ाई, कक्षाएं, परीक्षा एवं परीक्षा-परिणाम आईसीटी आधारित हो गया है। जिससे छात्र सहित शिक्षकों के लिए शिक्षण प्रशिक्षण का कार्य आसान एवं सुविधाजनक हो गया है।

शिक्षण में आईसीटी का अनुप्रयोग (Application of ICT in Teaching)

शिक्षण एक त्रिकोणीय प्रक्रिया होती है, जिसमें शिक्षक, छात्र एवं विषय वस्तु शामिल होता है। शिक्षण के क्षेत्र में आईसीटी का अनुप्रयोग और प्रभाव निम्न रूप में देखा जा सकता है।

एक शिक्षक संदर्भ में आईसीटी के अनुप्रयोग का तात्पर्य यह है कि आईसीटी आधारित अद्यतन प्रौद्योगिकी तकनीक का उपयोग करते हुए अपने शिक्षण को प्रभावी एवं सुलभ बनाने से है। नित्य प्रतिदिन नए-नए ज्ञान, विषयों के सृजन निरंतर हो रहा है। शिक्षकों को तकनीकी ज्ञान के साथ अद्यतन विषयों की जानकारी होनी चाहिए। निरंतर ज्ञान एवं विषयों के अर्जन करते हुए नए आईसीटी आधारित सहायक शिक्षण तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए जिससे शिक्षार्थी/विद्यार्थी के लिए प्रभावी एवं बेहतर शिक्षण प्रदान किया जा सकें।

एक विद्यार्थी के लिए शिक्षण में आईसीटी के अनुप्रयोग का तात्पर्य यह है कि शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे प्रौद्योगिकी विकास से अवगत होने के साथ संबंधित वेबसाइट सर्चिंग टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय, डिजिटल लाइब्रेरी से जुड़े तकनीकी का ज्ञान होने से है। इसका उपयोग सूचना आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।

विषय के संदर्भ में आईसीटी के अनुप्रयोग का तात्पर्य नित्य नए-नए अनुसंधान एवं अध्ययन के फल स्वरुप नित्य नए-नए विषय का निर्माण ज्ञान का सृजन हो रहा है और आईसीटी के माध्यम से उसको डिजिटल रूप में संरक्षित कर सकते हैं एवं अपनी आवश्यकता और सुविधानुसार उसका प्रयोग या उपयोग किया जा सकता है।

शिक्षा में आईसीटी के महत्त्व (Importance of ICT in education)

शिक्षा के क्षेत्र में आईसीटी के प्रभाव अत्यधिक देखने को मिलता है। सामान्यतः आईसीटी का प्रयोग या उपयोग सभी प्रकार के प्रौद्योगिकियों के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से सूचना संग्रहण सूचना प्राप्ति आसानी से किया जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार प्रौद्योगिकी के सम्मिलित स्वरूप ही आईसीटी है। शिक्षा के क्षेत्र में आईसीटी का प्रयोग या उपयोग अत्यधिक होने लगा है। शिक्षण प्रशिक्षण प्रक्रिया को सरल सुगम और बोधगम बनाने के लिए संस्थान, स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के स्तर पर इसका अनुप्रयोग अत्यधिक हो गया है।

वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी शिक्षण के लिए आईसीटी उपयोगी ही नहीं बल्कि वरदान साबित हुआ है। इसके मदद से आज हम लोग को ऑनलाइन प्रवेश, ऑनलाइन कक्षाएं, ऑनलाइन रिजल्ट बड़ी तेजी और सटीक सूचना के रूप में मिलती है। आईसीटी के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा सकती है, और की जाती है। इससे एक स्कूल दूसरे स्कूल से इंटरनेट के माध्यम से जुड़कर सम्मिलित रूप से कक्षाएं संपादित कर सकते हैं।

शिक्षा में आईसीटी के उपयोग (Uses of ICT in education)

सूचना प्रौद्योगिकी ने सबके लिए शिक्षा के द्वार खोल दिए हैं। ई-लर्निंग के माध्यम से शिक्षा आपके द्वार पर पहुंच चुका है। आईसीटी ने शिक्षा को घर-घर तक पहुंचा दिया है। भारत के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो 56 केन्द्रीय विश्वविद्यालय, 478 राज्य विश्वविद्यालय और कई मुक्त विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसके बावजूद भी शिक्षा सबों के लिए सुलभ नहीं हो सका है। इस समस्या के समाधान में आईटीसी आधारित दुरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग के द्वारा किया जा सकता है।

आज शिक्षण अधिगम और प्रशिक्षण को आधुनिक और प्रभावी सूचना एवं संप्रेषण प्रौद्योगिकी की सहायता से  सुलभ बनाया जा सका है। इंटरनेट के माध्यम से आज कई विश्वविद्यालय अपने छात्रों को भौतिक रूप से विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में उपस्थित हुए बिना पंजीयन, प्रवेश, अध्यापन, शिक्षण पाठ्य सामग्री, परीक्षा और परिणाम सुलभ कर रहा है। मल्टीमीडिया अध्ययन और अध्यापन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। जिसके माध्यम से छात्र अपने घर से ही संबंधित विषय में ज्ञान और कौशल अर्जित कर सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, इंदिरा गांधी मुक्त राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थान इंटरनेट के माध्यम से अध्ययन और अध्यापन के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अर्थात ई-लर्निंग की सुबिधा से छात्र-छात्राओं को शिक्षण प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। छात्र इसकी सहायता से विषय विशेषज्ञों से समस्या समाधान भी आसानी पूर्वक कर सकने में गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

This Post Has One Comment

  1. Vikash Kumar

    I C T के कार्य और भारत में इसका भविष्य का नोट्स डालिए

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