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Teaching Aptitude

शिक्षण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors of Affecting Teaching)

शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका होती है। शिक्षण में कक्षा प्रदर्शन बेहतर एवं प्रभावशाली होना चाहिए ताकि अध्येता अपनी शैक्षणिक योग्यतानुसार सामाजिक, राजनीतिक, व्यावहारिक एवं बोद्धिक ज्ञान को विकसित कर सके। शिक्षक का कक्षा-प्रदर्शन को प्रभावित करने के उनके व्यक्तिगत कारक (Personal Factor) तथा बौद्धिक कारक (Intellectual Factor) हो सकते हैं।

व्यक्तिगत कारक का तात्पर्य शिक्षकों के व्यक्तित्व से है। शिक्षकों को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से विकसित होना चाहिए। शिक्षकों के व्यक्तित्व के कारण शिक्षण प्रभावित हो सकता है। इसलिए शिक्षकों को व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक एवं नैतिक होना चाहिए। साथ ही साथ शिक्षकों को विवेकी होना चाहिए।

बौद्धिक कारक का तात्पर्य शिक्षकों के बुद्धि विवेक से है। शिक्षकों की बुद्धि और विवेक में कमी के कारण शिक्षण प्रभावित हो सकती है। शिक्षकों के बौद्धिक क्षमता के कारण संबंधित विषय में प्रवीणता प्रभावित कर सकता है। सोचने समझने की शक्ति होनी चाहिए साथ ही साथ मनोवैज्ञानिक स्तर पर शिक्षकों में भय, घबराहट नहीं होनी चाहिए। शिक्षकों को निडर, निर्भीक ऊर्जावान, सकारात्मक सोच वाला होना चाहिए।व्यक्तिगत कारक (Personal Factor) तथा बौद्धिक कारक (Intellectual Factor के अलावा अन्य निम्न कारणों से शिक्षण प्रभावित हो सकती है –

1. विषय का कम ज्ञान (Poor Knowledge of Subject)

शिक्षकों को अपने विषय में प्रवीण होना चाहिए। यदि शिक्षक अपने विषय का कम ज्ञान रखता है तो वह विद्यार्थी को संतुष्ट नहीं कर सकेगा। जिसका प्रभाव शिक्षण-प्रशिक्षण पर पड़ता है विषय के ज्ञान ही प्रभावशाली शिक्षण का परिचायक है।

2. शिक्षक का स्वास्थ्य (Health of Teacher)

स्वास्थ्य ही धन है। स्वास्थ्य के बिना किसी भी कार्य को सुचारू रूप से जारी रखना कठिन होता है। शिक्षण में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका होने के साथ-साथ उसे मेहनती होना चाहिए। शिक्षकों को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। यदि शिक्षक शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है अर्थात बीमार है तो उसका विपरीत प्रभाव शिक्षण पर अवश्य पड़ेगा।

3. ज्ञान-संचार प्रक्रिया (Knowledge-Communication)

ज्ञान का संचार करने के लिए शिक्षकों को अपने विषय में प्रवीणता हासिल करना होगा तभी वह अपने छात्रों को सही ज्ञान का संचार कर सकता है। अन्यथा वह ज्ञान के संचार में असफल हो जाएंगे। विषयों का अच्छी जानकारी या अपने ज्ञान के आधार पर अपने अध्येताओं को सही ज्ञान या सूचना का संचार कर सकता है। संचार प्रक्रिया में कोई शोरगुल नहीं होना चाहिए। संचार प्रक्रिया में बाधा शिक्षण को प्रभावित करती है।

4. मानसिक स्तर (Mental level)

शिक्षकों को समझना होगा कि अध्येताओं की क्या जरूरत है? उसकी मानसिक स्तर को टटोलना होगा तभी शिक्षण को प्रभावकारी बनाया जा सकता है। यदि शिक्षक अध्येताओं के मानसिक स्तर की समझ स्तर को समझे बैगर या अपने स्तर से शिक्षण जारी रखता है तो वह शिक्षण प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

5. तैयारी (Preparation)

किसी भी कार्य को सुचारू रूप से संपादित करने के लिए संबंधित कार्य की तैयारी करनी होती है। यदि शिक्षण में शिक्षक जिस विषय वस्तु का कक्षा प्रस्तुतीकरण करने जा रहा है तो उस विषय वस्तु से संबंधित विषयों की तैयारी करनी होती है। यदि विषयों की तैयारी किये बगैर कक्षा-प्रदर्शन प्रस्तुत करता है तो शिक्षण प्रभावित हो सकता है। शिक्षण में विद्यार्थी की ओर से कई प्रकार से प्रश्न किए जा सकते हैं जिसका जवाब देना कक्षा शिक्षकों का दायित्व होता है। यह तभी संभव है जब पढ़ाए जाने वाले विषय वस्तु की अच्छी तैयारी के साथ कक्षा प्रस्तुतीकरण किया जाए।

6. तत्क्षण बौद्धिक क्षमता (Presence of Mind)

शिक्षकों को तत्क्षण बौद्धिक क्षमता रखना आवश्यक होता है। उदाहरण स्वरूप शिक्षक विषय वस्तु को कक्षा में पढ़ा रहे हैं परंतु अध्येता विषय वस्तु में रुचि नहीं ले रहा है और उसे समझने में कठिनाई महसूस हो रहा है तो शिक्षकों को तुरंत किसी शिक्षण सहायक तकनीक या तत्कालिक उदाहरण को प्रस्तुत कर विषय वस्तु को बोधगम्य बनाना अनिवार्य हो जाता है अन्यथा शिक्षण प्रभावित होता है। शिक्षकों में विषय वस्तु को रोचक और बोधगम्य बनाने की काल होनी चाहिए।

7. असंतुलित छात्र-शिक्षक औसत (Unbalanced Student-Teacher Ratio)

विद्यालय या विश्वविद्यालय के लिए शिक्षक-छात्र औसत का मानक निर्धारण किया गया है। उसके अनुसार कक्षा का संचालन किया जाए तो शिक्षण प्रभावी तथा उपयोगी होगा। यदि शिक्षक छात्र का मानक औसत असंतुलित होता है तो उसका स्पष्ट प्रभाव शिक्षण पर दिखाता है। छात्र-शिक्षक असंतुलित औसत की स्थिति में शिक्षकों का व्याख्यान सुनने में कुछ छात्रों के लिए कठिनाई हो सकती है। साथ ही साथ शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित होती है।

8. आधारभूत संरचना (Infrastructure)

किसी भी संस्थान का आधारभूत संरचना शिक्षण को प्रभावित कर सकती है। आधारभूत संरचना जैसे उपस्कर, प्रसाधन, स्वच्छ पेयजल, खेलकूद की सुविधा एवं पुस्तकालय आदि स्वस्थ एवं प्रभावशाली शिक्षण के लिए अनिवार्य होता है। यदि शिक्षण संस्थानों में आवश्यक सुविधाओं से अनिभिज्ञ होकर संस्थान में शिक्षण को प्रभावी नहीं बनाया जा सकता है। पुस्तकालय और सूचना प्रौद्योगिकी की मूल भूत सुविधाएं होना आवश्यक है।

9. शिक्षण सहायक उपकरण (Teaching Aids/Tools)

सहायक उपकरण किसी कार्य को संपादित करने में सहायता प्रदान करता है। किसी विषय वस्तु तथा तथ्य को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के लिए तथा कक्षा को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों के द्वारा सहायक सामग्री का उपयोग किया जाता है। जब किसी शिक्षण सहायक सामग्री उपयोग के बिना अध्यापन कार्य को संपादित करते हैं तो विषय वस्तु को स्पष्ट करने में कठिनाई होता है और फिर शिक्षण कार्य प्रभावित हो सकता है। संतुष्टि जनक ढंग से विषय को प्रस्तुत करने में शिक्षण के आवश्यक सामग्री का उपयोग या प्रयोग किया जाना चाहिए। केवल व्याख्यान विधि से शिक्षण कार्य प्रभावी नहीं हो सकता। शिक्षण सामग्री का उपयोग कर किसी विषय वस्तु को रोचक और बोधगम्य बनाया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षण सहायक सामग्री शिक्षण को प्रभावित करती है।

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