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शिक्षण के मूलभूत आवश्यकताएं (Basic Requirements of Teaching)

शिक्षा दर्शन में शिक्षण एक त्रिकोणीय प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक, छात्र (अध्येता) और विषय-वस्तु तीनों शामिल होते हैं। शिक्षण की त्रिकोणीय प्रक्रिया में कक्षा वातावरण शामिल किया जा सकता है। शिक्षण के लिए स्वच्छ स्वस्थ वातावरण की आवश्यकता होती है। जहां शिक्षक, छात्र, विषय-वस्तु और स्वच्छ स्वस्थ वातावरण का मिलन होता है वहां शिक्षण प्रशिक्षण का केंद्र बन जाता है। शिक्षण के इन आवश्यक तत्वों का अपना-अपना महत्व है शिक्षण की प्रक्रिया में इन चार तत्वों का होना अति आवश्यक है जो निम्न हैं :

शिक्षक (Teacher)

शिक्षण- प्रशिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो अध्येताओं में व्यवहार परिवर्तन के साथ-साथ नैतिकता का संचार करता है। शिक्षक विषय के ज्ञाता होते हैं और अध्येता के व्यवहार परिवर्तन के लिए प्रभाव कारी संचार के लिए पूर्णता उत्तरदायित्व होता है। आज के विज्ञान एवं तकनीकी युग में शिक्षण को प्रभाव कारी संचार के लिए शिक्षकों को अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए। शिक्षक पथ प्रदर्शक होते हैं वह ज्ञान का सृजन कर अध्येताओं में भौतिक, सामाजिक, मानसिक तथा भावनात्मक विकास को जागृत करता है।

शिक्षण के मूलभूत आवश्यकताएं (Basic Requirements of Teaching)

अध्येता (Learner)

शिक्षण-प्रशिक्षण का केंद्र बिंदु अध्येता होता है जो ज्ञान और सूचना प्राप्त करने के लिए शिक्षकों का अनुसरण करते हैं।अध्येताओं का ध्येय अधिक से अधिक सूचना और ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा होती है तथा शिक्षकों का उत्तरदायित्व होता है कि वह अपना अद्यतन ज्ञान को उचित रूप से अध्येता को दे ताकि उसका बोद्धिक विकास हो सके। अध्येता कोई छात्र या विद्वान हो सकता है। शिक्षण प्रशिक्षण की प्रक्रिया में अध्येता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अध्येता की विषय जिज्ञासा तथा उसकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों को ज्ञान और सूचना का संचार करना चाहिए। ताकि वे एक सफल नैतिकवान नागरिक बन सके और देश और समाज का कल्याण हो सके।

विषय वस्तु (Subject Matter)

शिक्षण प्रशिक्षण की प्रक्रिया में विषय वस्तु की अहम भूमिका होती है। विषय वस्तु महत्वपूर्ण तत्व है जो सामान्यता शिक्षकों द्वारा निर्धारित की जाती है किंतु विषय के निर्धारण में अध्येताओं की सहभागिता हो सकती है। विषय वस्तु को सुगम बनाने हेतु संबंधित आवश्यक चार्ट, मानचित्र ,तालिका एवं मॉडल की तैयारी शिक्षकों या प्रशिक्षकों के द्वारा की जाती है। शिक्षण उपकरण में मीडिया तकनीकी का प्रयोग शिक्षकों द्वारा किया जाना किसी भी विषय वस्तु को अध्येताओं के लिए अधिक से अधिक बोध्यगम व रुचिकर बनाने का कार्य करती है। शिक्षण में विषय वस्तु एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। जिसका निर्धारण शिक्षकों द्वारा की जाती है विषय वस्तु को सुगम बनाने के लिए संबंधित आवश्यक शिक्षण उपकरण का प्रयोग किया जाना वांछित होता है।

स्वच्छ-स्वस्थ कक्षा वातावरण (Cool-Healthy Class Environment)

शिक्षण का मुख्य उद्देश्य अध्येताओं के बहुमुखी विकास होता है और यह तभी संभव है जब शिक्षण प्रशिक्षण के लिए अनुकूल वातावरण हो। क्योंकि शोरगुल शोर शराबा की वातावरण में शिक्षण प्रक्रिया बाधित होती है। इसका प्रभाव शिक्षण पर पड़ता है। शिक्षण कक्ष का वातावरण पिंड्राप साइलेंट होना चाहिए ताकि शिक्षकों द्वारा जो ज्ञान या सूचना अध्येताओं को दिया जा रहा है और वह बिना किसी बाधा के अध्येताओं के पास पहुंचे। इसलिये शिक्षण प्रशिक्षण के लिए अनुकूल वातावरण के साथ स्वच्छ-स्वस्थ कक्षा वातावरणका होना आवश्यक है।

शिक्षण अभिक्षमता :अर्थ, प्रकृति, विशेषताएं एवं उद्देश्य (Teaching Aptitude: Meaning, Nature, Characteristics and Objectives)