शोध नया ज्ञान प्राप्त करने का एक माध्यम है। शोध में शोधार्थी को अनुसंधान कार्य पूरा करने के लिए शोध के विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है। शोधार्थी को शोध प्रक्रिया में प्रत्येक चरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है जिससे सही ढंग शोध कार्य संपन्न हो सके। शोध प्रक्रिया के प्रत्येक चरण की विस्तृत कार्य योजना तैयार करना चाहिए तथा प्रत्येक चरणों को ध्यान पूर्वक अवलोकन कर और जांच कर आवश्यकता अनुसार परिवर्तन एवं संशोधन कर लेना चाहिए। जैसा कि हम लोग जानते हैं कि शोध एक सतत चलने प्रक्रिया है इसमें कोई कार्य अन्तिम नहीं होता। शोध प्रक्रिया में शोधार्थी को विभिन्न स्तर पर निम्नलिखित चरणों से गुजरना होता है।
1. शोध समस्या की पहचान करना (Identifying of the Research Problem)
प्रथम चरण में शोधार्थी को शोध समस्या की पहचान करना होता है अर्थात जिसे विशिष्ट क्षेत्र में उसे शोध कार्य करना है उसकी पहचान करना होता है। शोध समस्या ऐसी होनी चाहिए जिससे किसी नये ज्ञान की आविर्भाव हो और समसामयिक रूप से उपयोगी हो।इसमें शोधार्थी विशेष शोध समस्या का चयन करता है अर्थात वह एक विशेष विषय क्षेत्र पर कार्य करने के लिए मन:स्थिति बनाता है और विशिष्ट शोध समस्या का प्रतिपादन परिष्कृत तकनीकी शब्दों में करता है। शोधार्थी को ध्यान रखना चाहिए कि शोध समस्या का प्रतिपादन प्रभाव कारी एवं स्पष्ट तकनीकी शब्दावली में किया जाए। इसके साथ-साथ शोधार्थी को शोध समस्या में समाहित उप समस्याएं कौन-कौन सी हैं। इसका भी विस्तार से वर्णन करना चाहिए एवं शोधार्थी को विषय शोध विषय क्षेत्र में विशिष्ट साहित्य खोज करना चाहिए जिससे शोध विषय के बारे में स्पष्ट ज्ञान हो सके।
2. संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण (Review of Relevant Literature)
शोधार्थी अपने विशेष शोध समस्या से संबंधित विषय पर गहन अध्ययन करता है। अन्य शोधकर्ताओं और विद्वानों द्वारा अद्यतन किए गए शोध कार्य का गहन अध्ययन व अवलोकन करता है। शोधकर्ता शोध से संबंधित शोध प्रबंधों, लेखों व अन्य स्वरूपों में उपलब्ध सामग्री का गहन सर्वेक्षण करता है। जिससे शोधार्थी को शोधकार्य करने की दिशा निर्देश मिलता है। इसमें शोधकर्ता अपने शोध समस्या से जुड़ी हुई अभी तक किए गए शोध प्रविधि, आंकड़ों का संकलन विधि और तकनीकी, आंकड़े विश्लेषण तकनीकी आदि का भी सार तैयार करता है।
शोधार्थी को इस चरण में यह भी स्पष्ट उल्लेख कर लेना चाहिए कि उसका शोध कार्य पूर्वर्ती शोध कार्य से किस तरह भिन्न है। इस चरण में संबंधित विषय क्षेत्र पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक सूचना स्रोत तथा अन्य स्रोत से प्राप्त कर गहन चिंतन और साहित्य सर्वेक्षण कर लेना आवश्यक होता है, ताकि शोधार्थी को शोध कार्य करने में एक दिशा निर्देश मिल सके।
3. उपयुक्त शोध प्रविधि का चयन (Selection of Appropriate Research Method)
इस चरण में शोधार्थी को उपयुक्त शोध प्रविधि का चयन करना होता है। हर शोध समस्या एक विशिष्ट प्रकार की होती है और उसका समाधान भी एक विशेष शोध प्रविधि की सहायता से खोजा जा सकता है यदि हम समय विस्तार के आधार पर संबंधित समस्याओं के उत्तर खोजने का प्रयास करें तो निम्न मुख्य तीन शोध प्रविधि को अपनाना होता है -ऐतिहासिक शोध प्रविधि (Historical Method), सर्वेक्षण शोध प्रविधि (Survey Method), प्रयोगात्मक शोध प्रविधि (Experimental Method)
- ऐतिहासिक शोध प्रविधि उस शोध समस्या का समाधान के लिए उपयोगी होता है जिसमें शोधार्थी को भूतकाल में उत्तर या समाधान खोजना होता है। उदाहरण स्वरूप भारतीय स्वतंत्रता से पूर्व पुस्तकालयों की स्थिति, डॉ एस आर रंगनाथन का पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विकास में योगदान आदि इस शोध प्रविधि में वर्तमान परिस्थिति और समस्याओं का हल भूतकाल में हुए संबंधित विषय का अध्ययन के आधार पर खोजने का प्रयास किया जाता है।
- सर्वेक्षण शोध प्रविधि में उन समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। जिसका हल वर्तमान परिस्थिति में से खोजना होता है। यह प्रविधि सामाजिक विज्ञान में सबसे अधिक प्रयोग होता है जैसे पाठक-अध्ययन, पुस्तकालय सर्वेक्षण, ग्रामीण पाठकों का सूचना खोजने संबंधी व्यवहार आदि शोध समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास किया जाता है।
4. शोध परिकल्पना का प्रतिपादन (Formulation of Research Hypothesis)
शोध प्रक्रिया को सही दिशा प्रदान करने के लिए शोध प्राककल्पना का प्रतिपादन करना अत्यंत आवश्यक है। शोध में आंकड़े के संकलन और विश्लेषण के पूर्व शोध के परिणामों का अनुमान करना परिकल्पना है। यह एक बुद्धिमत्ता पूर्ण भविष्यवाणी होती है। यह परिकल्पना पूर्व निर्धारित सिद्धांतों अपना व्यक्तिगत अनुभवों अथवा आनुभविक विचारों के आधार पर शोध प्राक्कलन का निर्माण किया जाता है।
5.आंकड़ा संकलन तकनीक और उपकरणों का चयन (Selection of Data Collection Tools and Techniques)
शोध के लिए आंकड़ा संकलन की अनेक विधियां हैं। शोधार्थी को अपनी शोध समस्या के अनुरूप तकनीकों का सहारा लेने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक तकनीक और उपकरण एक विशिष्ट प्रकार के शोध के लिए उपयोगी होता है। अतः शोधार्थी को अपने शोध समस्या के अनुरुप तकनीक और उपकरण का चयन करना होता है ताकि आसानी से शोध समस्या का हल निकाला जा सके। शोध समस्या के समाधान हेतु आंकड़े का संकलन हेतु निम्नलिखित तकनीक और उपकरण का प्रयोग करते हैं।
- अवलोकन (Observation)
- मापन (Measurement) एवं
- प्रश्नावली (Questionnaire)
- अवलोकन (Observation) आंकड़ा संकलन का एक महत्वपूर्ण तकनीक है। यह तकनीक व्यक्ति या समूह के व्यवहार अध्ययन व विशेष परिस्थिति अध्ययन करने में अत्यंत ही उपयोगी होता है। कृष्ण कुमार इसके तीन घटक बताएं है – अनुभूति (Sensation), मनोयोग (Attention), एवं प्रत्यक्ष ज्ञान (Perception)। अनुभूति में हम संवेदी अंगों जैसे आंख, कान, नाक, त्वचा आदि का उपयोग किया जाता है। मनोयोग से तात्पर्य अध्ययन की जा रही विषय वस्तु पर एकाग्रता की क्षमता से है। प्रत्यक्ष ज्ञान एक व्यक्ति को तथ्यों को पहचानने में, अनुभव, आत्म-विश्लेषण, अनुभूति के उपयोग के द्वारा समर्थ बनाता है।
- मापन (Measurement) का प्रयोग शोध समस्या के समाधान में प्रयोग करते हैं। शोधार्थी द्वारा निर्धारित उद्येश्य की पूर्ति हेतु मापन की विभिन्न विधियों का अनुसरण किया जाता है। इसके अन्तर्गत सूचियां, समाजमिति, संख्यात्मक मापनी, वर्णनात्मक मापनी, ग्राफिक मापनी, व्यक्ति से व्यक्ति मापनी इत्यादि का उपयोग करते हैं।
- प्रश्नावली (Questionnaire) का प्रयोग शोधार्थी प्रश्न पूछने में प्रश्नावली, अनुसूची अथवा साक्षात्कार तकनीक करते हैं। प्रश्नावली शोधार्थी प्रश्न माला तैयार कर उत्तर दाताओं को डाक, ईमेल अथवा व्यक्तिगत रूप से देता है। उत्तरदाता प्रश्नावली को पढ़कर उत्तर पूरित करते हैं। अनुसूची में शोधार्थी उत्तरदाताओं से स्वयं प्रश्न पूछकर उत्तर की प्राप्त करता है जबकि साक्षात्कार में उत्तरदाता एवं शोधार्थी आमने-सामने बैठकर संवाद करते हैं।