विवरणात्मक शोध विधि (Descriptive Research Method)

Descriptive Research Method विवरणात्मक शोध विधि की अनुसंधान व शोध अध्ययन के क्षेत्र में अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं सार्वभौमिक भूमिका होती है, क्योंकि इस विवरणात्मक शोध विधि का प्रयोग सामान्यतः सभी प्रकार के शोध अध्ययन में किया जाता रहा है। विवरणात्मक विधि के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक, धार्मिकम, राजनितिक, व्यक्तिगत, प्रशासनिक सरोकार व विषमताओं का चित्रण प्रस्तुत करते हुए तुलनात्मक व समीक्षात्मक मूल्यांकन किया जाता है। इस विधि को अपनाकर किसी विषय-वस्तु के विभिन्न पक्षों को स्पष्ट किया जाता है. विवरणात्मक विधि के अंतर्गत आंकड़े संग्रहण के लिए उपकरणों और साधनों के रूप में अनुसूची, प्रश्नावली, साक्षात्कार आदि अत्यंत उपयोगी है। विवरणात्मक अनुसंधान विधि को सर्वेक्षण अध्ययन विधि भी कहा जाता है।

विवरणात्मक शोध विधि की विशेषताएं (Features of Descriptive Research Method)

विवरणात्मक शोध को वर्णनात्मक शोध विधि भी कहा जाता है। विवरणात्मक शोध में वर्तमान स्थितियों, प्रणालियों, प्रवृत्तियां आदि का वर्णन किया जाता है, इसलिए इसे वर्णनात्मक अनुसंधान विधि कहा जाता है। सामाजिक विज्ञान में इस विधि का प्रयोग अत्यधिक रूप से किया जाता है। इस विधि की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें शोधकर्ता का चरों (Variables) पर नियंत्रण नहीं रहता है। वस्तुतः इसमें शोधकर्ता, जो भी कुछ घटित हो चुका है या होने वाला है, उसका मात्र वर्णन करता है। इस विधि में शोधकर्ता शोध समस्या का वर्णन के साथ-साथ उसका तुलनात्मक  मूल्यांकन भी प्रस्तुत करता है.

  • विवरणात्मक शोध विधि में आगमनात्मक और निगमनात्मक तर्क विधियों का अनुप्रयोग कर शोध समस्या का निदान किया जाता है।
  • इसमें शोध समस्या का पहचान के साथ परिकल्पना का प्रतिपादन, आंकड़ा संग्रहण विधि, आंकड़ा विश्लेषण, परीक्षण एवं शोध प्रतिवेदन आदि चरण समाहित होता है।
  • यह विधि प्रयोगात्मक विधि नहीं है, क्योंकि यह विषयों का प्राकृतिक अवस्था में अध्ययन करती है।
  • सामाजिक विज्ञान और मानविकी विषयों में इस विधि का उपयोग अत्यधिक रूप से किया जाता है।

विवरणात्मक विधि का महत्त्व (Importance of Descriptive Method)

विवरणात्मक विधि भी एक प्रकार का विज्ञान है, वस्तुतः यह तथ्यों की एक विशिष्ट प्रकार की व्याख्या एवं विश्लेषण है जिसके अंतर्गत अनुसंधान के उद्देश्य की व्याख्या तथा उसके विवरण का महत्व निहित होता है। इस विधि का उपयोग भौतिकीय एवं प्राकृतिक विज्ञानों में भी होता है, लेकिन मानविकी विषयों तथा सामाजिक विज्ञानों में इसका उपयोग सर्वाधिक होता है, क्योंकि इसके अंतर्गत मानव क्रियाकलापों के अनेक तत्वों का विश्लेषण एवं व्याख्या शामिल होता है।

वर्णनात्मक शोध वर्तमान स्थिति की व्याख्या तथा विवेचन प्रस्तुत करता है। इसका संबंध उन स्थितियों और संबंधों से है, जिसका अस्तित्व वर्तमान में है तथा उन व्यवहारों, दृष्टियों व अभिवृत्तियों से है जो कि प्रचलन में है एवं उन प्रभावों से है जिन्हें अनुभव किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि ऐसे अनुसंधान का स्वरूप अत्यधिक व्यापक विस्तृत और विषम होता है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के अध्ययन समाहित होता है- जैसे सर्वेक्षण अध्ययन, विकासात्मक अध्ययन, वैयक्तिक अध्ययन, अंतर्वस्तु अध्ययन, जनमत अध्ययन, सह-संबंध अध्ययन आदि।

विवरणात्मक शोध विधि के प्रकार (Types of Descriptive Research Method)

सर्वेक्षण अध्ययन (Survey Study)

शोध की विवरणात्मक विधि सामान्यतः वर्तमान में व्यवहार परख विज्ञानों के क्षेत्र में अधिक प्रयोग किया जाता है. इस विधि में डाटा के संग्रहण एवं स्थिति के विवरण का तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन किया जाता है. इसमें तथ्यों का संग्रहण के लिए प्रश्नावली विधि, साक्षात्कार विधि, मानवीकृत परीक्षण विधि अपनेय जाता है एवं तथ्यों का विश्लेषण करते हुए शोध कार्य संपन्न किया जाता है।

वैयक्तिक अध्ययन (Case Study) –

इस विधि में नमूनों की विशेषताओं का अध्ययन अत्यधिक मात्रा में नमूनों की अपेक्षा मात्र एक ही नमूना लेकर अध्ययन कर बल दिया जाता है. व्यवहार परक विज्ञानों में इसका सर्वाधिक उपयोग किया जाता है. समाजशास्त्र, शिक्षा शास्त्र, मानव शास्त्र चिकित्सा शास्त्र  के क्षेत्र में व्यक्तिक अध्ययन अर्थात केस स्टडी के आधार पर शोध कार्य संपन्न किया जाता है. व्यक्तिक अध्ययन के अंतर्गत नैदानिक विधि (Clinical Method), जीविनीपरक विधि (Biographical Method), विकासात्मक अध्ययन (Developmental Study) को शामिल किया जाता है.

विकासात्मक अध्ययन (Developmental Study) –

इस विधि में वर्तमान स्थितियों और परिस्थितियों के आधार पर भविष्य के स्थितियों और परिस्थितियों पर विस्तृत वर्णन किया जाता है। कोई भी अध्ययन न केवल वर्तमान स्थितियों और परिस्थितियों का होता है बल्कि उसकी स्थितियों और परिस्थितियों में भिन्नताएँ देखने को मिलती है। अतीत में क्या हुआ है और अभी क्या हुआ तथा भविष्य में क्या घटित होगा, इस पर गहन विचार करना विकासात्मक अध्ययन (Developmental Study) है।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि शोध की विवरणात्मक विधि को वैज्ञानिक शोध विधि नहीं माना जाता है फिर भी सामाजिक विज्ञान और मानविकी विषयों के शोध समस्या के समाधान में इस विधि का अनुप्रयोग विशेष महत्व रखता है।

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