शिक्षण अभिक्षमता का तात्पर्य शिक्षण कार्य और शिक्षण सिद्धांत तथा उसकी विधियों के अभिविन्यास में अभिरुचि से है। शिक्षण एक कला है, जिसमें उसकी प्रतिभा और सृजन की झलक मिलती है। शिक्षण एक कार्य प्रणाली है जो सामाजिक और भौतिक वातावरण के अनुकूल प्रशिक्षु को अपने ज्ञान से सृजित करता है। शिक्षण एक पारस्परिक क्रिया है जो किसी उद्देश्य हेतु जो विद्यार्थी के बौद्धिक विकास में सहायक होता है। इस प्रकार शिक्षण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी के बीच परस्पर संवाद होता है। शिक्षण एक कला है जो प्रशिक्षुओं को प्रभावशाली ज्ञान प्रदान करता है। शिक्षक औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूप में होता है जो प्रशिक्षुओं को अधिक से अधिक सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है तथा उसे सामाजिक वातावरण में ढलने में मदद करता है।
शिक्षण की प्रकृति एवं विशेषताएं (The Nature and Characteristics of Teaching)
- शिक्षण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।
- शिक्षण औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के होते हैं
- शिक्षण एक कला है जो अध्यापकों को प्रभावी ढंग से ज्ञान प्रदान करती है।
- शिक्षण कला अध्यताओ को अधिक से अधिक सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- शिक्षण एक विज्ञान भी है जो विषय से संबंधित विभिन्न तथ्यों और उसके कारणों की शिक्षा प्रदान करता है।
शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching)
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें मनोवैज्ञानिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोण सम्मिलित होता है। शिक्षण व्यवसाय को अपनाने वाले व्यक्ति में शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। यदि शिक्षक की शिक्षा में अभिरुचि एवं शिक्षा के प्रति सकारात्मक सोच रहता है तो उसके लिए शिक्षा मात्र औपचारिक ना होकर जीवन के लिए मूल्यवान और उपयोगी होती है। शिक्षण एक उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक मनोवैज्ञानिक दार्शनिक दृष्टिकोण सम्मिलित होता है।ताकि शिक्षा को जीवन में उपयोगी एवं मूल्यवान बनाया जा सके। शिक्षण प्रक्रिया मुख्य रूप से छात्र और शिक्षक के अंतरक्रिया पर आधारित होती है। जिसमें शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। शिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-
- अध्येताओं के संपूर्ण विकास
- व्यवहार परिवर्तन
- सामंजस्यता का विकास
- पाठ अभ्यास
- ज्ञान संचार
- शिक्षण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य अध्येताओं के संपूर्ण विकास है जिसमें भौतिक, मानसिक, अध्यात्मिक व नैतिक विकास शामिल है।
- शिक्षण प्रक्रिया में अध्येताओं के व्यवहार परिवर्तन होता है शिक्षा व्यक्ति में व्यवहारिक परिवर्तन लाता है। इसी से किसी व्यक्ति की दृष्टिकोण और उसकी व्यक्तिगत आदर्श की झलक मिलती है।
- शिक्षण से अध्येताओं में मानसिक विकास के साथ तार्किक क्षमता, विषय वस्तु की समझ तथा सामाजिक सामंजस्यता का विकास भी होता है। तथा विश्व बंधुत्व की भावना जागृत होती है।
- शिक्षण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य शिक्षक के द्वारा छात्राओं में सूचना तथा ज्ञान संचार करना होता है। शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक का अपने व्याख्यान को लगातार रखते हैं और छात्रों को गृह कार्य भी देते हैं। शिक्षकों का उत्तरदायित्व होता है कि छात्रों ने क्या सीखा है इसकी जांच करना। छात्रों ने क्या पढ़ा औऱ क्या सीखा इसकी जांच करना शिक्षण प्रक्रिया का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है।
- शिक्षण के लिए कक्षा-वातावरण होना अति आवश्यक है क्योंकि यदि शिक्षक- छात्र के बीच दोस्ताना तथा व्यवहारिक शिक्षण प्रक्रिया नहीं होती है तो सीखने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए शिक्षक-छात्रों को हमेशा शिक्षण प्रशिक्षण की प्रक्रियाओं में सहज महसूस करना चाहिए।