नैतिकता मानवीय गुण है। मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहकर आचरण करता है। नीतिशास्त्रीय रूप में नैतिकता मानवीय आचरण है। आचरण मानव का ऐच्छिक कार्य होता है। हमारे आचरण में हमारी इच्छा व सकल्प भी शामिल होता है। शोध एक महत्वपूर्ण मानवीय विवेकपूर्ण कार्य है। शोध में नैतिकता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शोध कार्य नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए ताकि शोध पक्षपात रहित और शोध परिणाम अधिक सुसंगत हो सके।
शोध में नैतिकता की आवश्यकता (Need for Ethics in Research)
शोध में नैतिकता विभिन्न विषय क्षेत्रों और व्यक्तियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नैतिकता शोध लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होती है। सत्यता के आधार पर शोध लक्ष्य को प्राप्त करना, शोध में गलतियों को सुधारना, शोध कार्य में किसी दूसरे की नकल न करना, शोध कार्य में यदि कोई सूचना, पुस्तकें, संदर्भ ग्रन्थ से पंक्तियों उल्लेखित किया है तो उसे प्राथमिकता देते हुए संदर्भित करना शोध नैतिकता की महत्वपूर्ण कड़ी है। शोध की गरिमा और शोधकर्ता के अधिकारों एवं कल्याण की रक्षा के लिए नैतिक मूल्यों का पालन करना आवश्यक है। शोध के लिए विभिन्न संस्थानों, व्यक्तियों और विषय क्षेत्रों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है। इस सहयोगात्मक, समन्वित शोध कार्य में नैतिकता की अहम भूमिका होती है। शोध नैतिक मूल्यों के निर्वहन से शोध-मूल्य और विश्वसनीयता के लिए सार्वजनिक समर्थन की संभावना बढ़ जाती है।
शोध नैतिकता शोध कार्य में विश्वसनीयता, निष्पक्षता एवं आपसी सामंजस्य एवं उत्तरदायित्व को बढ़ता है। अनुसंधान नैतिक मानक शोधकर्ता को दिशानिर्देश के साथ कॉपीराइट (प्रतिलिप्याधिकार), डेटा वितरण नीति, बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करता है। शोधकर्ता को शोध कार्य के प्रति जिम्मेवार बनता है। शोधकर्ता को शोध कार्य में नैतिक मानकों को अवश्य अपनाना चाहिए ताकि शोध कार्य की विश्वसनीयता, निष्पक्षता, समन्वयता, आपसी सहयोग की भावना बनी रहे और शोध कार्य निर्बाध गति से पूरा हो सके।
शोध की मौलिकता सदैव ही संदेह से परे होनी चाहिए। शोधार्थी के लिए शोध में नैतिकता और सत्य के प्रति निष्ठा आवश्यक तत्व है। किसी दूसरे की भाषा, विचार, पद्धति, शैली आदि का अधिकांशतः नकल करते हुए अपने मौलिक कृति के रूप में प्रशासन करना साहित्यिक चोरी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उच्चतर शिक्षा संस्थान में अकादमिक सत्य निष्ठा एवं साहित्यिक चोरी की रोकथाम के लिए बनाए गए कानून को प्रत्येक शोधकर्ता एवं शिक्षक को समझना चाहिए।
प्रो0 अजय शुक्ला , एच आर डी सेंटर द्वारा साहित्यिक चोरी को लेकर आयोजित परिचर्चा में
शोध में नैतिकता का महत्व (Importance of Ethics in Research)
शोध कार्य विभिन्न संस्थानों और विभिन्न स्तरों पर आयोजित किया जाता है। किसी भी क्षेत्र में संस्थागत शोध अध्ययन में निष्पक्ष लक्ष्य को प्राप्ति के लिए नैतिक व्यवहार आवश्यक है। यह नैतिक आचरण ही हमारे विशिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। किसी भी विषय अध्ययन के क्षेत्र में नैतिकता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नैतिकता शोध के निष्पक्ष एवं वस्तुनिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकती है। नैतिकता के बिना किसी भी कार्य का मूल्यांकन संभव नहीं है। यदि शोध कार्य का मूल्यांकन करना हो तो उसमें नैतिकता की बात अवश्य आती है। शोध में नैतिकता को महत्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए। नैतिकता शोधकर्ताओं के लिए आचरण के मानकों को नियंत्रित करती है। यह जिम्मेदारीपूर्वक शोध करने के लिए दिशानिर्देश का कार्य करती है।
शोध में नैतिकता के मापदण्ड (Ethical Standards in Research)
शोध नैतिकता शोधकर्ताओं के लिए आचरण के मानकों को नियंत्रित करती है जो जिम्मेदारीपूर्वक शोध करने के लिए दिशानिर्देश का कार्य करती है। शोध में नैतिकता के मापदण्ड निर्धारित किया जा सकता है, जिनके आधार पर शोध कार्य पूरी ईमानदारी एवं विश्वसनीयता के साथ संपन्न हो। वे निम्न है –
- ईमानदारी (Honesty)
शोधकर्ता को शोध के निष्कर्षों और कार्यप्रणाली के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। साथ ही साथ अन्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभार्थियों और उत्तरदाताओं के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। ईमानदारी यह सुनिश्चित करता है कि समझौतों और वादों को पूरा करना और झूठी उम्मीदें न पालना या झूठे वादे न करना।
- निष्पक्षता (Fairness)
शोध कार्य पक्षपात रहित पूरी निष्पक्षता से करना चाहिए और शोधकर्ता को उम्र, लिंग, नस्ल, जातीयता या अन्य कारकों के आधार पर भेदभाव से बचना चाहिए जो मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं और अध्ययन से संबंधित नहीं हैं।
- वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
शोधकर्ता को शोध के लिए प्रयुक्त शोध पद्धति, तथ्यों के सकलन, विश्लेषण, व्याख्या निष्पक्षता से करना और अनुसंधान के अन्य पहलुओं में पूर्वाग्रह से बचना चाहिए।
- निरंतरता (Continuously)
शोधकर्ता को अपने वादे और समझौते को निभाना; ईमानदारी से शोध कार्य करना; विचार और कार्य में निरंतरता बनाये रखना चाहिए।
- खुलापन (Openness)
शोधकर्ता को अपने परिणाम, डेटा और अन्य संसाधनों को साझा करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए एवं उत्साहपूर्वक आलोचना, टिप्पणियाँ और रचनात्मक प्रतिक्रिया भी स्वीकार करना चाहिए।
- सतर्कता (Carefulness)
शोध में संभावित त्रुटि और पूर्वाग्रहों के प्रति सतर्क रहना चाहिए तथा अपने स्वयं के कार्य और अपने सहयोगियों के कार्य की सावधानीपूर्वक और आलोचनात्मक जाँच कर लेना चाहिए साथ ही साथ शोध गतिविधियों का अच्छा रिकॉर्ड रखना चाहिए।
- बौद्धिक संपदा का आदर (Respect for Intellectual Property Rights)
बौद्धिक संपदा के रूप में पेटेंट और कॉपीराइट का आदर करना चाहिए। दूसरों की बौद्धिक संपदा को श्रेय देते हुए दूसरों के लेख, आलेख का संदर्भ देते समय हमेशा व्याख्या करना चाहिए। बिना अनुमति के प्रकाशित या अप्रकाशित डेटा, विधियों या परिणामों का उपयोग नहीं करना चाहिए, यदि किसी सन्दर्भ का उपयोग शोध में किया है तो अपनी व्याख्या के अंदर ही स्त्रोत का विवरण दे देना चाहिए। शोध में उल्लेखित विषय के लिए जहां प्राथमिकता की ज़रूरत है वहां अवश्य प्राथमिकता के साथ संदर्भित करना चाहिए। साहित्यिक चोरी (Plagiarism) से बचाना चाहिए। साहित्यिक चोरी से बचने के अनेक तरीके हैं, उसे अवश्य अपनाना चाहिए।
- गोपनीयता (Confidentiality)
जब शोध समस्या से सबंधित तथ्यों का संकलन करते हैं तो उसमें उत्तरदाता का व्यक्तिगत जानकारी हो सकती है जिसे गोपनीय रूप से सुरक्षित रखना जाना चाहिए। जैसे प्रकाशन के लिए प्रस्तुत कागजात या अनुदान, कार्मिक रिकॉर्ड, व्यापार या सैन्य रहस्य की जानकारी।
- सहयोगी का सम्मान (Respect for Colleagues)
शोध कार्य में लगे अन्य सहयोगी का आदर व सम्मान के साथ उनके साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। शोध निदेशक का सम्मान करना चाहिए, जिनकी शोध को सुचारू रूप से संपन्न कराने में महत्वपूर्णभूमिका होती है। लिंग, नस्ल, जातीयता या अन्य कारकों के आधार पर सहकर्मियों से भेदभाव से बचना चाहिए।
- वैधानिकता (Legality)
शोध कार्य कानून सम्मत और वैध होना चाहिए, इसके लिए शोधकर्ता को शोध सबंधित प्रासंगिक कानूनों, संस्थागत और सरकारी नीतियों को जानाना चाहिए और उनका यथासंभव पालन करना चाहिए।
- उत्तरदायित्व (Responsibility)
शोध के माध्यम से सामाजिक भलाई और सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा देने और सामाजिक नुकसान को रोकने या कम करने का प्रयास करना चाहिए।शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रकाशित करना चाहिए। फिजूलखर्ची और दोहराव वाले प्रकाशन से बचना चाहिए। शोध के शोधकर्ता को अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए नियमित रूप से शोध कार्यों का निगरानी करनी चाहिए।
शोध एक बहुत ही गंभीर और संवेदनशील महत्वपूर्ण गतिविधि है। गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए धैर्य साथ शोध नैतिकता का पालन करना चाहिए। शोध कार्य पूरी निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, सतर्कता, गोपनीयता के साथ उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से अपने सहयोगी का सम्मान करते हुए करना चाहिए जो वैधानिक, कानून सम्मत एवं वैध हो।
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