पदों की व्याप्ति (Distribution of Terms)
विद्यार्थियों को तर्कवाक्य के स्वरूप एवं उनकी संरचना और प्रकार की जानकारी होनी चाहिए। ताकि वे तर्कशास्त्रीय तर्क का सही-सही हल कर सकें।
तर्कवाक्य क्या है?
भाषा के माध्यम से दो पदों के बीच अभिव्यक्त संबंध को तर्कवाक्य कहते हैं। किसी भी तर्कवाक्य में दो पद (Term) होते हैं – उद्देश्य एवं विधेय। किसी भी तर्कवाक्य के तीन भाग होते हैं – उद्देश्य (Subject), विधेय (Predicate), तथा संयोजक (Copula)।
- उद्देश्य – जिस के संबंध में कुछ कहा जाए।
- विधेय – उद्देश्य के संबंध में जो कुछ कहा जाए
- संयोजक – उद्देश्य तथा विधेय को संयुक्त करने वाली क्रिया।
तर्कवाक्य के संयोजक वर्तमान काल में होता है। अर्थात तर्कवाक्य में क्रिया है – हूँ, हैं, नहीं है, नहीं हूँ, नहीं हैं, (is, am, are, is not, am not, are not)
तर्कवाक्य के प्रकार – A, E, I, O
तर्कवाक्य चार प्रकार के होते हैं – A, E, I, O
परिमाण के आधार पर तर्कवाक्य दो प्रकार के होते हैं – सामान्य तर्कवाक्य तथा विशेष तर्कवाक्य।
गुण के आधार पर तर्क वाक्य दो प्रकार के होते हैं – भावात्मक और निषेधात्मक।
परिमाण (Quantity) एवं गुण (Quality) के आधार पर तर्कवाक्य चार प्रकार के होते हैं –
- सामान्य भावात्मक तर्कवाक्य (Universal Affirmative Proposition)
- सामान्य निषेधात्मक तर्कवाक्य (Universal Negative Proposition)
- विशेष भावात्मक तर्कवाक्य (Particular Affirmative Proposition)
- विशेष निषेधात्मक तर्कवाक्य (Particular Negative Proposition)
जिसका संकेतिक रूप क्रमशः A, E, I, O है।
सभी मनुष्य शिक्षक हैं – A
(All men are teacher)
कोई भी मनुष्य शिक्षक नहीं हैं – E
(No men are teacher)
कुछ मनुष्य शिक्षक हैं – I
(Some men are teacher)
कुछ मनुष्य शिक्षक नहीं हैं – I
(Some men are not teacher)
पदों की व्याप्ति (Distribution of terms)
1. व्याप्त पद (Distributed Term)
किसी तर्कवाक्य में जब कोई पद अपनी जाति के सभी व्यक्तियों या वस्तुओं के सूचक होते हैं अर्थात जिस पद का व्यवहार तर्कवाक्य में सम्पूर्ण वस्तुवाचकता के साथ किया जाता है, उसे व्याप्त पद कहते हैं। जैसे –
‘All men are mortal’
सभी मनुष्य मरणशील है
इस तर्कवाक्य में मनुष्य पद का व्यवहार संपूर्ण वस्तुवाचकता के साथ किया गया है अर्थात यहां मनुष्य पद सभी मनुष्य का सूचक हैं, अतः मनुष्य पद व्याप्त है। यहां मरणशीलता सभी मनुष्य के लिए सत्य है।
2. अव्याप्त पद (Undistributed Term)
किसी तर्कवाक्य में जब कोई पद अपनी जाति के कुछ व्यक्तियों या वस्तुओं के सूचक होते हैं अर्थात जिस पद का व्यवहार तर्कवाक्य में आंशिक वस्तुवाचकता के साथ किया जाता है, उसे अव्याप्त पद कहते हैं। जैसे –
‘Some men are wise’
‘कुछ मनुष्य बुद्धिमान है’।
इस तर्कवाक्य में ‘मनुष्य’ पद केवल कुछ मनुष्यों का सूचक है, ‘बुद्धिमान’ पद केवल कुछ मनुष्यों के लिए सत्य है अर्थात ‘मनुष्य’ पद का व्यवहार आंशिक वस्तुवाचकता के साथ किया गया है, अतः इस तर्कवाक्य में ‘मनुष्य’ पद अव्याप्त है।
पदों की व्याप्ति के नियम (Rule of distribution of the terms)
- पूर्णव्यापी तर्कवाक्यों का उद्देश्य (Subject) पद व्याप्त होता है।
Universal propositions distribute their subject. - निषेधात्मक तर्कवाक्यों का विधेय (Predicate) पद व्याप्त होता है
Negative propositions distribute their predicate.
व्याप्ति के स्मरण सूत्र
AS+EB+SN+OP
- AS – ‘A’ distributes its Subject.
- EB – ‘E’ distributes Both (Subject and Predicate)
- SN – ‘S’ distributes None (Neither Subject nor Predicate)
- OP – ‘O’ distributes its Predicate.
अर्थात A तर्कवाक्य का उद्देश्य, E तर्कवाक्य का उद्देश्य तथा विधेय दोनों, I तर्कवाक्य का न उद्देश्य और विधेय, O तर्कवाक्य का विधेय पद व्याप्त होता है।
(उपरोक्त सभी बिन्दुओ का अध्ययन कर लें ताकि आगे समझने में आसानी होगी)