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Adult Learners

Adult Learners: वयस्क शिक्षार्थी वे व्यक्ति होते हैं जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के होते हैं और नए कौशल, ज्ञान, या अनुभव प्राप्त करने के लिए शिक्षा में भाग लेते हैं। उनकी सीखने की शैली, आवश्यकताएँ, और दृष्टिकोण किशोरों और बच्चों से भिन्न होते हैं। वयस्क शिक्षार्थी अनुभव, स्वायत्तता, और व्यावहारिकता पर जोर देते हैं। उनकी आवश्यकताओं को समझकर शिक्षा को उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्यों के अनुरूप बनाना आवश्यक है। प्रभावी शिक्षण रणनीतियाँ अपनाकर उन्हें उनके लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद की जा सकती है।

Adult Learners: Needs, Purpose and Characteristics of Adult Learners
Adult Learners: Needs, Purpose and Characteristics of Adult Learners

वयस्क शिक्षार्थियों का उद्देश्य (Purpose of adult learners)

वयस्क शिक्षार्थी अपनी शिक्षा को अपने व्यक्तिगत, व्यावसायिक, और सामाजिक जीवन में सुधार के लिए उपयोग करते हैं। उनका उद्देश्य स्पष्ट और व्यावहारिक होता है, क्योंकि वे शिक्षा को एक साधन के रूप में देखते हैं जो उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। वयस्क शिक्षार्थियों का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन को बेहतर बनाना और सामाजिक, व्यक्तिगत, और व्यावसायिक क्षेत्रों में योगदान देना है। उनका मुख्य उद्देश्य अपने रुचियों और शौक के अनुकूल आत्म-संतोष और आत्म-विकास के लिए नई चीजें सीखना होता है। व्यावसायिक उन्नति के लिए करियर में प्रगति और नई क्षमताओं का विकास कर रोजगार के नए अवसर प्राप्त करना है। परिवार और समुदाय में सकारात्मक भूमिका निभाते हुए सामाजिक पहचान बनाना और ज्ञान में वृद्धि करना है। व्यक्तिगत और सामुदायिक मुद्दों में भागीदारी बढ़ाकर अपने जिज्ञासा और रुचि को संतुष्ट करना है।

वयस्क शिक्षार्थियों की आवश्यकताएँ (Need of Adult Learners)

वयस्क शिक्षार्थियों की शिक्षा की आवश्यकता उनके व्यक्तिगत, व्यावसायिक, और सामाजिक विकास से जुड़ी होती है। वे शिक्षा को अपने अनुभव, जिम्मेदारियों, और लक्ष्यों के साथ जोड़ते हैं। वयस्क शिक्षार्थियों के लिए लचीले और प्रासंगिक पाठ्यक्रम, व्यावसायिक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के साथ मेल खाने वाली शिक्षा  और सकारात्मक शिक्षण वातावरण उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है। व्यक्तिगत आवश्यकता के रूप में आत्मनिर्भरता और आत्म-संतुष्टि के लिए नई चीजें सीखना है। व्यावसायिक आवश्यकता के रूप में बदलते कार्यक्षेत्र के अनुरूप अपने कौशल को अद्यतन कर रोजगार के नए अवसर प्राप्त करना है। सामाजिक आवश्यकता के रूप में अपना पहचान और सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाना है। शैक्षणिक आवश्यकता के रूप में नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को समझ कर अपनी जिज्ञासा और ज्ञान के लिए शिक्षा ग्रहण करते हुए व्यावहारिक।समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना है।

वयस्क शिक्षार्थियों की विशेषताएँ (Characteristics of Adult Learners)

वयस्क शिक्षार्थी शिक्षा को अपने अनुभव, जिम्मेदारियों, और लक्ष्यों से जोड़ते हैं। उनकी शिक्षा के प्रति दृष्टि और शैली किशोरों से भिन्न होती है। वयस्क शिक्षार्थी व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर स्वतंत्र रूप से अंत: प्रेरणा से प्रेरित होकर सैद्धांतिक की अपेक्षा व्यावहारिक ज्ञान को प्राथमिकता देते है। वे समय और जिम्मेदारियों के साथ संतुलन बनाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। इनकी शिक्षा को अनुभवजन्य और उद्देश्यपूर्ण बनाने की आवश्यकता है। वयस्क शिक्षार्थियों की शैक्षणिक विशेषता के साथ सामाजिक और  भावनात्मक विशेषताएँ होती है।

वयस्क शिक्षार्थियों की  शैक्षणिक विशेषताएँ:

वयस्क शिक्षार्थी व्यावहारिक और उद्देश्यपूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं। वे अनुभव आधारित और स्व-निर्देशित (Self-Directed) होते हैं। वे अपने जीवन में व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वतंत्र रूप से सीखने में रुचि रखते हैं। वयस्क शिक्षार्थी सैद्धांतिक की बजाय व्यावहारिक ज्ञान को प्राथमिकता देते हैं। उनकी शिक्षा को लचीला और उनके उद्देश्यों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। वे अपने जीवन के अनुभवों को शिक्षा से जोड़ना पसंद करते हैं।

  • स्व-निर्देशन (Self-directed): वे स्वतंत्र रूप से सीखना पसंद करते हैं और अपनी शिक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • लक्ष्य उन्मुखता: वे शिक्षा को अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक उद्देश्यों से जोड़ते हैं।
  • धीमी गति: सीखने की प्रक्रिया किशोरों की तुलना में धीमी हो सकती है, लेकिन यह गहराई पर केंद्रित होती है।

वयस्क शिक्षार्थियों की  सामाजिक विशेषताएँ:

वयस्क शिक्षार्थी अपने सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों के बीच शिक्षा प्राप्त करते हैं। उनके सामाजिक अनुभव और संबंध उनकी सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। वे अपने परिवार और सामाजिक संबंधों के साथ संतुलन बनाकर शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा अपनी राय और निर्णय में स्वायत्तता चाहते हैं। सामाजिक अनुभवों और संवाद के माध्यम से सीखने में रुचि रखते हैं। वयस्क शिक्षार्थियों के लिए सहायक और समावेशी सामाजिक वातावरण बनाकर उनकी शिक्षा को प्रभावी बनाया जा सकता है।

  • जिम्मेदारियों का प्रभाव: वे परिवार, नौकरी और अन्य जिम्मेदारियों के बीच सीखने का प्रबंधन करते हैं।
  • संबंध निर्माण: व्यावसायिक और सामाजिक नेटवर्किंग में रुचि।
  • समूह कार्य: सहयोग और सहपाठियों के साथ सीखने को महत्व देते हैं।

वयस्क शिक्षार्थियों की  भावनात्मक विशेषताएँ:

वयस्क शिक्षार्थी अपनी भावनाओं और अनुभवों के आधार पर शिक्षा में भाग लेते हैं। उनकी भावनात्मक विशेषताएँ उनकी शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। सकारात्मक माहौल और प्रोत्साहन वयस्क शिक्षार्थियों के भावनात्मक विकास और शिक्षा को मजबूत बनाते हैं। उनके सीखने की प्रक्रिया मुख्यतः आंतरिक प्रेरणा से संचालित होती है। वे अपनी आंतरिक प्रेरणा से प्रेरित होते हैं और लक्ष्य प्राप्ति के लिए समर्पित रहते हैं।

  • आत्म-सम्मान: सकारात्मक अनुभव और सफलता उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाते हैं।
  • झिझक: असफलता और नई चीजों को सीखने में संकोच हो सकता है।
  • संवेदनशीलता: आलोचना और प्रतिक्रिया को संभालने में परिपक्व होते हैं।
  • भावनात्मक संतुलन: तनाव और चुनौतियों के बावजूद शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं।
  • प्रतिबद्धता: शिक्षा के प्रति उनका समर्पण अधिक होता है, क्योंकि वे अपने उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से जानते हैं।
  • आलोचना की स्वीकृति: वे रचनात्मक प्रतिक्रिया को स्वीकार कर सकते हैं।

4. वयस्क शिक्षार्थियों की संज्ञानात्मक विशेषताएँ:

वयस्क शिक्षार्थी तर्क, अनुभव, और व्यावहारिकता के आधार पर ज्ञान अर्जित करते हैं। उनकी संज्ञानात्मक विशेषताएँ शिक्षा में उनकी गहराई और समझ को दर्शाती हैं। संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रासंगिक, व्यावहारिक, और अनुभवजन्य शिक्षण विधियाँ उपयोगी होती हैं। वयस्क शिक्षार्थी अपने अनुभवों को शिक्षा से जोड़ते हुए गहन विश्लेषण और निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर आवश्यक एवं जटिल समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकालते हैं। नई चीजों को समझने में समय लेते हैं, लेकिन गहराई से सीखते हैं। सिद्धांत की बजाय व्यवहारिक ज्ञान को प्राथमिकता देते हैं।

  • समस्या समाधान की क्षमता: व्यावहारिक और तार्किक दृष्टिकोण अपनाते हैं।
  • तर्कशीलता: गहराई से सोचने और विश्लेषण करने में सक्षम होते हैं।
  • नई चीजें सीखने की लचीलापन: पुरानी आदतों और धारणाओं को बदलने में समय लेते हैं।
  • ज्ञान को लागू करने की रुचि: वे शिक्षा को अपने दैनिक जीवन या कार्य में लागू करने की कोशिश करते हैं।
  • ध्यान केंद्रित करना: वयस्क शिक्षार्थी कम समय में अधिक उत्पादकता चाहते हैं।

वयस्क शिक्षार्थियों के लिए प्रभावी शिक्षण रणनीतियाँ (Effective Teaching Strategies for Adult Learners)

:वयस्क शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण रणनीतियाँ तैयार की जानी चाहिए। शिक्षण में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल उपकरण और मल्टीमीडिया सामग्री का समावेश किया जाना चाहिए। समय और स्थान के अनुसार लचीले पाठ्यक्रम तैयार करना चाहिए। व्यावहारिक ज्ञान और कौशल पर ध्यान केंद्रित कर प्रायोगिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए । ये रणनीतियाँ शिक्षण को वयस्क शिक्षार्थियों के लिए अधिक प्रभावी और प्रासंगिक बनाती हैं।

  • वयस्क शिक्षार्थी के व्यक्तिगत अनुभवों को शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए।
  • उन्हें निर्णय लेने और अपनी गति से सीखने का अवसर देना चाहिए।
  • उन्हें अपने सीखने के उद्देश्यों और गति को निर्धारित करने का अवसर देना चाहिए।
  • वयस्क शिक्षार्थी को सहपाठियों के साथ अनुभव साझा करने के अवसर देना चाहिए।
  • उनकी प्रगति की सराहना करते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया देना चाहिए।

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