प्रस्तुत आलेख में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का तात्पर्य स्वरूप के साथ इसकी आवश्यकता एवं शिक्षा, शोध, विकास एवं प्रगति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का विस्तृत अध्ययन है।
सूचना–संचार प्रौद्योगिकी का अर्थ एवं स्वरूप (Meaning and Nature of ICT)
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी दो पदों के योग से मिलकर बना है – सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी। इसमें सूचना और संचार की प्रक्रिया एवं तकनीक सम्मलित है। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी एवं संचार प्रौद्योगिकी के सम्मलित स्वरूप को सूचना प्रौद्योगिकी (इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) कहा जाता है। जहां कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के द्वारा सूचना के संग्रहण एवं पुनः प्राप्ति संभव होता है, वहीं अत्यंत विकसित संचार प्रौद्योगिकी ने दुनिया के किसी भी भाग में उपलब्ध सूचना तक अभिगम को संभव बनाया है। सूचना प्रौद्योगिकी में सूचना का अर्थ है तत्व, ज्ञान और जानकारी से है एवं प्रौद्योगिकी का तात्पर्य है वह तकनीक जो सूचना को सुव्यवस्थित कर संचार योग्य बनाती है। दूसरे शब्दों में विज्ञान का अनुप्रयोग ही प्रौद्योगिकी है। कंप्यूटर तथा दूर संचार माध्यमों के द्वारा सूचना स्रोतों का संग्रहण, भंडारण, संचालन आदि प्रक्रियाओं को सम्पादित किया जाता है। वर्तमान युग को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का क्रांति युग कहा जा सकता है।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की अवधारणा में सूचना के संग्रह संप्रेषण एवं पुनर्प्राप्ति सम्मिलित है। इसकी परिभाषा में सूचना के संग्रहण विधि अर्थात कंप्यूटर डाटा स्टोरेज के साथ सूचना के संचार, कम्युनिकेशन प्रोसेस तथा सूचना पुनर्प्राप्ति तकनीक सम्मिलित है। इसके अंतर्गत सूचना विज्ञान की अवधारणा के साथ-साथ उसके संप्रेषण तकनीक तथा उपयोग हेतु विभिन्न प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग का अध्ययन किया जाता है। आधुनिक समाज में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी जानकारी शिक्षित वर्ग की व्यक्तियों से अपेक्षित होती है। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में परीक्षार्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की विषय वस्तु से अवगत हो।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता (Need for ICT)
आज सूचना-संचार को इतना सरल, सुगम और सुलभ बनाने की आवश्यकता है, जिससे त्वरित गति से विकसित हो रहे ज्ञान-विज्ञान के विचारों, भावनाओं तथा अनुभवों को साझा किया जा सके, जिससे मानव जाति का मार्गदर्शन होता रहे। कोई भी ज्ञान विज्ञान या प्रौद्योगिकी अपने आप में अर्थहीन है, यदि सही ढंग से सही समय पर और सही समुदाय के बीच उसका संचार शीघ्रता से करके लाभ न उठाया जाए। आज प्रगति और विकास की प्रतिस्पर्धा में किसी भी समाज और राष्ट्र के लिए सूचना एवं जनसंचार आवश्यक संसाधन है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी वर्तमान समय की जरूरत है। इसके बिना सही प्रकार से सूचना का संग्रहण तथा उसकी पुनः प्राप्ति नहीं किया जा सकता है। सूचना-संचार प्रौद्योगिकी के द्वारा ही सही समय पर, सही सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है और उपयोगकर्ताओं को समय की बचत के साथ उसका लाभ मिल सकता है।
सूचना को संग्रहीत एवं संप्रेषित करने के लिए सूचना-संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है। सूचना विस्फोट के द्वारा उत्पन्न समस्याओं के निवारण के लिए, सूचना को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए, उपयोगकर्ताओं को अधिकतम और सटीक सूचना प्रदान करने के लिए, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना को आदान-प्रदान करने के लिए, शोध एवं विकास के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण वृद्धि के लिए सूचना-संचार प्रौद्योगिकी की महती आवश्यकता है।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का महत्व (Importance of ICT)
ज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास में सूचना-संचार की महत्ता स्वयं सिद्ध है। सूचना विकास का प्रथम सोपान है। सूचना के अभाव में कोई भी अध्ययन, अनुसंधान और विकास का कार्यक्रम सफल और सार्थक नहीं हो सकता। आज समाज के प्रत्येक क्षेत्र अर्थात आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य, कृषि, जन सुरक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि का आधार और विकास सूचना पर निर्भर करता है। सूचना एक मानवीय विचार है। यह मानव मस्तिष्क द्वारा सृजित संपदा है। जब कोई मानव सोचता और विचार करता है, तो वह निर्णय के रूप में सूचना को जन्म देता है। ज्ञान के परिपेक्ष्य में सूचना एक तत्व है जो किसी विशेष तथ्य या विषय से सम्बंधित होती है और मानव संसाधन के विकास के क्षेत्र में इसके सम्प्रेषण से प्रगति और विकास की संभावनाएं बढ़ती हैं। संचार एक प्रक्रिया है जिसमें हम सूचना, संवेदना और विचार को एक दूसरे के बीच साझा करते हैं।
वर्तमान में टेलीफोन, मोबाइल फोन, रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह आदि के कारण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में गुणात्मक परिवर्तन आया है। सूचना प्रौद्योगिकी ऐसी तकनीक है जो सूचना के क्रियाकलापों में सहायता प्रदान करती है। यह सूचना के संग्रहण एवं पुनर्प्राप्ति में प्रयुक्त की जाती है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी वर्तमान समय की जरूरत है। इसके बिना सही प्रकार से सूचना का संग्रहण एवं उसकी पुनर्प्राप्ति नहीं हो सकती है।
सूचना को किसी भी राष्ट्र के विकास और प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। राष्ट्र निर्माण में इसका निवेश महत्वपूर्ण है। इसे एक अति आवश्यक संसाधन और शक्ति के रूप में विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय, आर्थिक, औद्योगिक, शैक्षणिक, सामाजिक विकास और उन्नयन के लिए सूचना एक आवश्यक संसाधन है। किसी भी कार्य का प्रयास का प्रारंभ सूचना से होता है। राष्ट की प्रगति और बहुमुखी विकास में सूचना एक सफल और सार्थक उपाद्देय सिद्ध हो रहा है। सूचना अनुसंधान एवं विकास के निष्पादन का एक आवश्यक तत्व है।
वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी युग में सूचना एक अत्यंत आवश्यक संसाधन है। किसी भी समाज और राष्ट्र की आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, राजनीतिक प्रगति में सूचना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अनुसंधान एवं विकास की तीव्रता का आधार सूचना ही है। वर्तमान समय में सूचना जितनी विशाल मात्रा में उत्पन्न हो रही है, उतनी ही मात्रा में इसका अधिग्रहण भी किया जा रहा है। अतः सूचना के उत्पादन को आज के समय में सूचना उद्योग भी कहा जाता है।
विकास और प्रगति के लिए आवश्यक वस्तु के रूप में सूचना को मानी जा सकती है। वर्तमान युग में सूचना साधारण व्यक्ति से लेकर महत्वपूर्ण विषय के विशेषज्ञों, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों आदि सभी के लिए अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित नवीनतम सूचना की आवश्यकता में होती है।सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग से आज पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव के रूप में विकसित हो रहा है। जिसके परिणाम स्वरुप वैश्विक स्तर पर सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, भौगोलिक दूरियां सिमट गई है। प्रत्येक स्तर पर सूचना पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तथा इसका उपयोग प्रचुर मात्रा में शोध एवं विकास क्षेत्र में किया जा रहा है। सूचना का उपयोग एक संसाधन वस्तु और शक्ति के रूप में हो रहा है। किसी भी राष्ट्र के विकास और प्रगति में सूचना एक संसाधन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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