प्रस्तुत आलेख “शोध-समस्या का निर्धारण” में शोध-समस्या क्या है? इसके चयन के उद्देश्य, प्रतिपादन के आवश्यक तत्व के साथ शोध विषय के निर्धारण में बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियां का विस्तृत विश्लेषण है।
शोध-समस्या क्या है?
शोध विषय-वस्तु का चयन करना शोधकर्ता की आवश्यक एवं महत्वपूर्ण गतिविधि होती है। जिसका निर्धारण करना किसी भी शोध-प्रक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। यहीं से शोध अध्ययन की दिशाएँ खुलती हैं। पूरे शोध की सफलता शोधकर्ता द्वारा निर्धारित शोध-समस्या पर ही निर्भर होती है। सामान्य अर्थ में शोध-समस्या सैद्धान्तिक या व्यवहारिक सन्दर्भो में वह प्रश्न होता है, जिसका समाधान शोधकर्ता अपने शोध अधययन के दौरान करना चाहता है। अतः शोध समस्या समाधान हेतु प्रस्तावित एक प्रश्न है, जिसे शोधकर्ता को निश्चित रूप से निर्धारित करना होता है। शोध-समस्या वह प्रस्तावित प्रश्न है जिसका समाधान खोजा जाना है या ऐसा कथन जिसका परीक्षण किया जाना है।
शोध-समस्या चयन के उद्देश्य (Objectives of Research Problem Selection)
शोध समस्या का निर्धारण का मुख्य उद्देश्य शोध विषय-वस्तु की पहचान कर उसे अच्छी तरह परिभाषित करना है। शोध समस्या के रूप में विषय वस्तु का निर्धारण वैज्ञानिक शोध की प्रारंभिक आवश्यकता है। यह शोध-प्रक्रिया का प्रथम चरण होता है। शोध प्रक्रिया के प्रथम चरण में शोध समस्या को निरूपित करना एवं शोध उद्देश्य को स्पष्ट करना होता है। शोध समस्या को निरूपित कर शोध कार्य को योग्य और स्पष्ट बनता है। जब तक शोध समस्या की पहचान व निर्धारण नहीं हो जाता, तब तक शोध कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सकता है। और न ही शोध कार्य को सुव्यवस्थित रूप नहीं दिया जा सकता है। प्रत्येक शोधकर्ता को शोध की इस प्रथम अवस्था में विभिन्न परेशानियों से जूझना पड़ता है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि समस्या का स्पष्टीकरण करते हुए उसे अच्छी तरह से परिभाषित किया जाना चाहिए।
शोध-समस्या का प्रतिपादन (Formulation of Research Problem)
शोधकर्ता को शोध-प्रक्रिया के दौरान परीक्षण एवं अनुशीलन के प्रति आश्वस्त होना होना चाहिए। प्रस्तावित शोध-समस्या में मौलिक हो। शोधकर्ता के रूचि के अनुकूल अत्यंत स्पष्ट प्रायोगिक समस्यामूलक हो, जिसके निदान के लिए अग्रसर रहा जाए। यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए जिस पर व्यय किये गए समय, धन, श्रम को उचित ठहराते हुए उसे सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति करता हो। ऐसे तो शोध समस्या का चयन आसान कार्य नहीं है। कोई भी शोध समस्या का चयन करने के पूर्व शोधकर्ता को गहन अध्ययन कर लेना चाहिए। चयन की जा रही शोध समस्या से सम्बंधित शोध प्रतिवेदन, शोध आलेखों, शोध प्रबंधों आदि का व्यापक अवलोकन और समीक्षा की जानी चाहिए। यदि शोधकर्ता को वैज्ञानिक विधि का ज्ञान नहीं है तो वह शोध कार्य अच्छे ढंग से संपादित नहीं कर पाएंगे अतः शोधकर्ता को वैज्ञानिक विधि यानी शोध प्रविधि का ज्ञान होना आवश्यक होता है।
शोध-समस्या चयन के आवश्यक तत्व (Essential Elements of Research Problem Selection)
शोध के लिए शोध समस्या का निर्धारण में किस बात को अधिक महत्व देना चाहिए और किस प्रकार किया जाए, इसके संबंध में विभिन्न विद्वानों में मत मतैक्य नहीं है और न ही इसके संबंध में कोई स्पष्ट नियम और दिशा निर्देश है। शोध समस्या के निर्धारण कार्य में हमारी व्यक्तिगत योग्यता और प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शोध अध्ययन समस्या के चयन की प्रक्रिया में शोधकर्ता किन तथ्यों का निर्धारण करना चाहती है? और तथ्यों के निर्धारण करने के उद्देश्य या कारण क्या है? और साथ ही समस्या से शोध संबंधित प्रश्न कितने तार्किक है ? इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शोध समस्या का निर्धारण करना उचित प्रतीत होता है।
समस्या का प्राथमिक ज्ञान (Fundamental Knowledge of Problem)
शोध के लिए चयनित समस्या का प्राथमिक ज्ञान शोधकर्ता को अवश्य होना चाहिए। जब तक शोध समस्या का प्राथमिक एवं आवश्यक ज्ञान नहीं होता है, तब तक शोध विषय का चुनाव करना अत्यंत ही कठिन प्रतीत होता है। शोध समस्या का प्राथमिक ज्ञान होने से शोधकर्ता को उपयुक्त शोध शीर्षक का चयन करने में सहायता मिलती है। शोधकर्ता को समस्या पर मनन और गहन विचार करना चाहिए कि उक्त समस्या से संबंधित या अनुरूप शोध विषय शीर्षक क्या हो सकता है? बिना उचित शोध शीर्षक के समस्या की कोई पहचान नहीं होती, अतः शोध समस्या के निर्धारण में शोध संबंधी उपयुक्त शोध शीर्षक का चयन महत्वपूर्ण होता है।
शोध उद्देश्य (Research Objective)
शोध समस्या के चयन के समय शोध उद्देश्यों को स्पष्ट होना चाहिए। प्रत्येक शोध के कुछ उद्देश्य होते हैं जिन्हें शोधकर्ता शोध अध्ययन के माध्यम से प्राप्त करना चाहता है। अतः शोध समस्या का चुनाव कुछ विशेष उद्देश्यों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। शोध समस्या जिसका कोई उद्देश्य नहीं उसकी कोई समस्या ही नहीं होती। अतः किसी भी शोध अध्ययन का विशेष या विशिष्ट उद्देश्य होना आवश्यक होता है।
समस्या अध्ययन करने का क्षेत्र (Scope of Problem Study)
समस्या अध्ययन करने का क्षेत्र न अधिक विस्तृत या संकुचित होना चाहिए। शोधकर्ता को समस्या के अध्ययन का क्षेत्र ऐसा होना चाहिए, जिस समस्या का संपूर्ण और गहन अध्ययन किया जा सके। अर्थात शोध समस्या से संबंधित क्षेत्र का निर्धारण करना समुचित प्रतीत होता है। अतः शोध समस्या का क्षेत्र स्पष्ट और सरल होना चाहिए।
शोध समस्या का आधार (Basis of Research Problem)
शोध समस्या के निर्धारण में शोधकर्ता के समक्ष या पूरी तरह स्पष्ट होना आवश्यक है कि वह जिस समस्या को शोध का आधार बनाना चाहता है, उससे संबंधित कुछ विशेष तथ्यों को ज्ञात करने का आधार क्या है? जिसकी सहायता से शोधकर्ता यह पता लगा सकता है कि कुछ विशेष तथ्यों को ज्ञात हो जाने से समस्या का समाधान हो सकता है, अतः शोध समस्या का आधार क्या हो सकता है, इसको निर्धारित करना आवश्यक हो जाता है।
संबंधित साहित्य का अध्ययन (Study of Relevant Literature)
शोध समस्या से संबंधित साहित्यिक अध्ययन करना शोधकर्ता को अन अवधारणा को समझने में सहायता मिलती है जो शोध समस्या से संबंधित है या विभिन्न मान्यताओं का स्थापना करने के सूत्रों को पता हो जाता है अतः शो द समस्या से संबंधित साहित्यिक अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है एवं साहित्य समीक्षा करना शोध समस्या की पहचान करना कहा जा सकता है
परिकल्पना का निर्माण (Formulation of Hypothesis)
शोध प्रत्येक शोध समस्या के पीछे कुछ ना कुछ परिकल्पनाएं का निर्माण की जाती है, जिसकी वैधता की जांच संकलित और निर्वचित तथ्यों से प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर की जाती है। अतः उन समस्याओं के पीछे परिकल्पनाओं की रचना होनी आवश्यक होती है, जिन समस्याओं का चुनाव और समाधान करना होता है। शोध समस्या के निर्धारण में ध्यान रखना आवश्यक होता है कि समस्या से संबंधित परिकल्पनाओं की रचना की जा सके।
समय एवं धन (Time and Money)
शोध समस्या के अध्ययन में कितना समय और धन लगेगा, इसके बारे में शोधकर्ता को योजना बनानी चाहिए अर्थात समय एवं धन की उपलब्धता के आधार पर शोध समस्या का चयन और क्षेत्र निर्धारित करना चाहिए। सामान्यतः इसकी जानकारी शोधकर्ता को होनी चाहिए कि उक्त शोध समस्या के समधान में कितना समय या धन आवश्यकता है। ताकि शोध अध्ययन के क्रम में किसी प्रकार का रुकावट नहीं हो और शोध समस्या का समाधान समुचित और विशिष्ट तरीके से निर्विघ्न तरीके से संपन्न हो सके।
सहायकों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण (Appointment and Training of Assistants)
शोध समस्या के अध्ययन के लिए तथ्य सामग्री की आवश्यकता होती है। प्रत्येक शोधकर्ता सभी प्रकार की तथ्य सामग्री का संकलन नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास समय का अभाव होता है। अतः इस कार्य में सहायता प्राप्त करने के लिए योग्य एवं प्रशिक्षित शोध सहायक की नियुक्ति की जा सकती है और उसे संबंधित प्रशिक्षण देकर शोध समस्या के समाधान को सरल और आसान बना सकते हैं। शोध समस्या के निर्धारण में सहायकों की योग्यता एवं रुचि महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
विशेषज्ञों से विचार-विमर्श (Guidance of Subject Experts)
शोध समस्या का निर्धारण करते समय शोधकर्ता के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह ऐसे व्यक्तियों या विशेषज्ञों से संपर्क करें या विचार विमर्श करें जो शोध समस्या के विभिन्न पहलुओं की जानकारी रखते हैं। शोध समस्या के निर्धारण के समय में विशेषज्ञों से विचार विमर्श करना, उनकी राय लेना आवश्यक एवं समीचीन प्रतीत होता है।
तथ्य स्रोतों की प्राप्ति (Obtaining Factual Sources)
शोध समस्या के निर्धारण में तथ्य स्रोतों का भी काफी महत्व होता है। सहायकों से प्राप्त विभिन्न तथ्य सामग्री जैसे शोध पत्रिका, अन्य प्रकाशित और अप्रकाशित दस्तावेज, शोध ग्रंथ आदि के आधार पर समस्या के चयन को एक बल मिलता है। जिसके आधार पर शोध समस्या का चयन करते हुए शोधकर्ता शोध कार्य प्रारंभ करता है। जिस समस्या के संबंध में स्रोतों या तथ्य सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं, अधिकतर शोधकर्ता उसी शोध-समस्या के रूप में चुनाव करता है और उसमें कार्य करता है। अतः विभिन्न स्रोतों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर ही शोध समस्या का चयन करना चाहिए।
शोध समूह (Research Group)
शोधकर्ता शोध समस्या का अध्ययन सुनें अकेले नहीं कर सकता उसे बाहरी यांत्रिक सहायता की आवश्यकता होती है बाहरी सहायता से उन्हें उत्तरदाता सूचना उत्तर करते रहते हैं परंतु आंतरिक सहायता उसे स्वयं के सहकर्मी ही से प्राप्त होता है अतः आंतरिक सहायता के बिना उसे शत प्रतिशत सफलता मिलना बड़ा कठिन है तब आप स्टाफ का होना आवश्यक होता है इसलिए सो समस्या के चयन में शोध समूह जिसमें शोध पर्यवेक्षक सुधार थी एवं अन्य सहायक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है
शोध-समस्या के आवश्यक तत्वों को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता को अपनी सविवेक से उपर्युक्त बातों पर भली-भांति विचार करते हुए शोध समस्या का चयन करना चाहिए और शोध प्रस्ताव तैयार कर उसे अंतिम रूप से प्रस्तुत करना चाहिए।
शोध-समस्या के निर्धारण में सावधानियां (Precautions in Determining Research Problem)
- शोध-समस्या चयन में शोधकर्ता को विषय के महत्त्व एवं उपादेयता के साथ अपनी योग्यता, रूचि एवं शक्ति सामर्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ।
- शोध-समस्या न तो अत्यन्त संकीर्ण होना चाहिए, न अत्यधिक विस्तृत। शोध कार्य अधिक विस्तृत नहीं हो, साथ ही यह भी ध्यान रखना चिहिए कि चयन की जा रही शोध समस्या से सम्बंधित पाठ्य सामग्री स्रोतों की उपलब्धता सहज हो। शोध का विषय परिचित और सम्भाव्य क्षेत्र का हो ताकि शोधकर्ता यथोचित तथ्य, सामग्री, संसाधन सहजतापूर्वक से जुटा सके।
- शोध-समस्या चयन में शोधकर्ता को अपनी क्षमता एवं विषय की जटिलता पर विधिवत विचार कर लेना चाहिए। एवं शोध के दौरान आने वाली कठिनाइयों पर विचार विमर्श कर लेना चाहिए।
- शोधकर्ता को शोध-नैतिकता के साथ धार्मिक, राजनैतिक, भाषायी, भावनात्मक पूर्वाग्रह से ऊपर कर शोध समस्या का चयन करना चाहिए, विवादास्पद विषय का चुनाव करने से बचना चाहिए।
- शोध कार्य में लगाने वाले समय, धन एवं श्रम के अनुमानित व्यय का सूक्ष्म ज्ञान होना चाहिए।
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