वैज्ञानिक पद्धति क्या है?
वैज्ञानिक पद्धति का तात्पर्य प्राकृतिक घटनाओं के पूर्व अनुमानित तथा मान्यता प्राप्त अभिधारणा के सम्बन्धों के परिकल्पनात्मक प्रमेयों का क्रमबद्ध अध्ययन और विश्लेषण से होता है। इसका कार्य समस्या को समझाना, समस्या के समाधान के लिए उपाय खोजना, समस्या से सम्बंधित तथ्यों का संग्रहण करना, तथ्यों का वर्गीकरण एवं विवेचन विश्लेषण कर निरिक्षण एवं प्रयोग के माध्यम से सत्यता की जाँच करना है। वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से तथ्यों का क्रमानुसार परीक्षण, वर्गीकरण एवं विश्लेषण कर निष्कर्ष निकलते हैं, जो निश्चित, वस्तुनिष्ठ और सामान्य होता है।
वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएं
तार्किकता, निश्चिता, वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता, क्रमबद्धता, प्रमाणिकता, सामान्यीकरण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पूर्वानुमान की क्षमता वैज्ञानिक शोध पद्धति की अनिवार्य एवं प्रमुख विशेषताएँ हैं। विज्ञान केवल तथ्यों का व्याख्या करने विश्लेषण करने, नियमों एवं सिद्धांतों की रचना करने से संबंध नहीं रखता बल्कि यह उसका प्रयोग करके अपनी खोज को आगे बढ़ता है तथा भविष्य में होने वाली घटनाओं की सूचना भी प्रदान करता है। साथ ही साथ भविष्य में अपनी खोज के परिणाम का परीक्षण एवं सत्यापन करने के लिए वह भविष्यवाणी भी करता है। तथा निष्कर्ष या परिणाम को तार्किक, निश्चित, वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष, प्रमाणिक बनाता है।
वैज्ञानिक पद्धति के महत्व
प्रत्येक शोध अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य शोध समस्या से संबंधित यथार्थ एवं वास्तविक ज्ञान प्राप्त करना होता है। इस यथार्थ या वास्तविक निष्कर्ष को प्राप्त करने के लिए हमें शोध की वैज्ञानिक पद्धति को अनुसरण करना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य प्रतीत होता है। समाज में सामाजिक समस्याओं के मूल्यांकन के लिए भौतिक घटनाओं एवं व्यवहारिक तथ्यों का वैज्ञानिक ढंग से परीक्षण एवं निरिक्षण करना होता है। यही कारण है कि सामाजिक घटनाओं एवं व्यवहारों का वास्तविक ज्ञान अर्जित करने के लिए वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग किया जाता रहा है। इस वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से शोधकर्ता अपने शोध समस्या के अनुसार परिकल्पना की रचना एवं उपयुक्त शोध प्रविधि का चुनाव कर तथ्यों का संकलन एवं विश्लेषण करते हुए शोध निष्कर्ष को तार्किक, निश्चित, वस्तुनिष्ठ और सामान्य बनता है। इस प्रकार शोध अध्ययन में वैज्ञानिक पद्धति का अत्यधिक महत्व है।
वैज्ञानिक पद्धति के सोपान
शोध एक क्रमबद्ध अध्ययन है, जिसमें वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना आवश्यक होता है। इसके लिए वैज्ञानिक शोध पद्धति के विभिन्न सोपानों का अनुसरण करना आवश्यक है।
शोध समस्या का चयन
किसी भी शोध की प्रक्रिया का प्रथम चरण शोध समस्या का चयन करना होता है। शोधकर्ता सर्वप्रथम शोध अध्ययन के लिए एक विशेष विषय, समस्या, घटना, प्रश्न का चयन करता है। शोधकर्ता की जागरूकता, सतर्कता, गहन अवलोकन एवं उसके समाधान खोजने की जिज्ञासा ही सही शोध समस्या के चयन को निर्धारित करती है। शोधकर्ता के लिएशोध समस्या का चयन में गहन अवलोकन के साथ सावधानी की जरुरत होती है।
शोध उद्देश्यों का निर्वाचन
शोध समस्या के चुनाव के दौरान शोध उद्देश्यों का निर्वाचन भी स्पष्ट और निश्चित कर लेना होता है। शोध समस्या के अध्ययन से संबंधित उद्देश्य स्पष्ट एवं निश्चित होना चाहिए। शोध समस्या के सामान्य उद्देश्य लोक उपयोगी होते हैं जबकि विशिष्ट उद्देश्य ज्ञान वृद्धि में सहायक होते हैं। शोध उद्देश्य जितना अधिक पूर्ण स्पष्ट और निश्चित होगा उतना ही अधिक शोध अध्ययन वैज्ञानिक, तार्किक, निश्चित एवं वस्तुनिष्ठ होगा। इसलिए शोध अध्ययन के लिए उद्देश्य का निर्धारण करना आवश्यक होता है।शोध उद्देश्यों का निर्वाचन वैज्ञानिक पद्धति की प्रमुख विशेषता है।
शोध परिकल्पना की रचना
शोध परिकल्पना का निर्माण एवं उसका समाधान वैज्ञानिक शोध पद्धति की प्रमुख विशेषता है। शोध समस्या पर लंबे समय तक गहन विचार करना होता है इसलिए शोध परिकल्पना का निर्माण करना आवश्यक है। परिकल्पना शोध समस्या की संबंधित संभावित समाधान होता है। शोधकर्ता किसी समस्या के समाधान में जितने अधिक गहराइयों तथ्यों का अवलोकन के साथ विश्लेषण करता है, उसकी परिकल्पना उतनी ही सरल स्पष्ट होती है। तार्किकता के आधार पर शोध परिकल्पना की रचना करना एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके माध्यम से निष्कर्ष प्राप्त करने की दिशा में उच्च स्तर की खोज कर अपनी समस्या का निदान करना है।
शोध अध्ययन क्षेत्र का निर्धारण
शोध अध्ययन क्षेत्र का निर्धारण एक महत्वपूर्ण कार्य है। शोध समस्या, विषय वस्तु के अनुसार वैज्ञानिक शोध अध्ययन करने के लिए शोधकर्ता द्वारा शोध अध्ययन क्षेत्र का निर्धारण किया जाना आवश्यक होता है ताकि शोध अध्ययन से संबंधित तथ्यों/ सामग्री का संकलन कर अपने शोध कार्य को पुरी निष्ठा और तन्मयता के साथ कर सके। यदि शोध अध्ययन का क्षेत्र विस्तृत होता है तो इसे निर्देशन पद्धति के द्वारा सीमित करते हुए शोध अध्ययन का निर्धारण किया जा सकता है।
शोध प्रविधि का चयन
शोध अध्ययन को वैज्ञानिक बनने के लिए शोध प्रविधि का चयन आवश्यक होता है। शोध अध्ययन से संबंधित तथ्यों का संकलन, वैज्ञानिक उपकरणों, तथ्यों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण की विधि का चुनाव करना होता है। शोधकर्ता को शोध अध्ययन प्रारंभ करने के पहले यह सुनिश्चित कर लेना होता है कि उसे किन-किन शोध प्रविधि या पद्धति के द्वारा अध्ययन कार्य को पूर्ण करना है। शोध प्रविधियां या उपकरणों का चयन हमारे शोध समस्या की प्रकृति, उद्देश्य और अध्ययन के क्षेत्र पर निर्भर करता है।
तथ्यों का संकलन एवं विश्लेषण
शोध तथ्यों का संकलन एवं विश्लेषण वैज्ञानिक पद्धति के महत्वपूर्ण चरण है। शोध अध्ययन से संबंधित क्षेत्र में जाकर तथ्य सामग्री का संग्रहण करना होता है। शोध तथ्यों का संकलन तथ्य जितना अधिक अच्छे ढंग से होगा शोध परिणाम भी उतना ही निश्चित, तार्किक और वस्तुनिष्ठ होगा। तथ्यों का संकलन करने के बाद तथ्यों की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग वर्गों में विभक्त कर दिया जाता है। तथ्यों का वर्गीकरण एक ऐसा वैज्ञानिक आधार है, जिसकी सहायता से शोधकर्ता विभिन्न घटनाओं के मध्य तुलनात्मक अध्ययन करके संबंधित निष्कर्ष या परिणाम को प्राप्त करता है। तथ्यों का वर्गीकरण करने के साथ प्राप्त तथ्यों का विश्लेषण शोधकर्ता विभिन्न सांख्यिकी एवं वैज्ञानिक प्रविधियां एवं सूत्रों के आधार पर विश्लेषण कर निष्कर्ष निकलता है।
शोध निष्कर्ष एवं सामान्यीकरण
वैज्ञानिक पद्धति की अंतिम चरण निष्कर्ष एवं सामान्यीकरण होता है। जिसमें शोधकर्ता अपनी परिकल्पना और तार्किक निगमन के आधार पर निष्कर्ष प्राप्त करता है एवं उसकी वैधता की जाँच करता है। वैज्ञानिक शोध पद्धति के माध्यम से शोध समस्या से संबंधित से संबंधित परिकल्पनाओं का निर्माण कर उसकी वैधता की जांच कर निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। इस प्रकार सामान्यीकरण के आधार पर शोधकर्ता उच्च स्तरीय खोज कर शोध समस्या का निदान निकलता है।