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साहित्य समीक्षा: क्या, क्यों और कैसे (Literature Review: What, Why and How)

।। साहित्य समीक्षा के अर्थ ।। साहित्य समीक्षा की आवश्यकता ।। साहित्य समीक्षा के उद्येश्य ।। साहित्य समीक्षा के स्रोत ।। साहित्य समीक्षा की उपयोगिता  एवं महत्व ।।

साहित्य समीक्षा शोध की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह सामान्यत: किसी शोध समस्या को ध्यान में रखकर शुरू किया जाता है। शोधकर्ता किसी विषय पर किए गए शोध का संक्षिप्त रूपरेखा तैयार करता है। साहित्य समीक्षा में शोध समस्या से संबंधित कार्यों का विवरण, सारांश और महत्वपूर्ण मूल्यांकन प्रदान करना होता है और साथ ही साथ यह प्रदर्शित करना होता है कि आपका शोध अध्ययन एक विशेष विषय क्षेत्र में कैसे सारगर्भित एवं महत्वपूर्ण होगा।

साहित्य समीक्षा क्या है?

साहित्य समीक्षा एक सतत प्रक्रिया है। शोध प्रक्रिया के पहले चरण में किसी विषय की खोज और चयन करना शामिल होता है। यह एक विषय पर ज्ञान का आधार प्रदान करने वाली पुस्तकों, विद्वानों के लेखों और किसी विशिष्ट विषय से संबंधित अन्य स्रोतों का एक व्यवस्थित और व्यापक विश्लेषण है। शोध में अंतराल को उजागर करके अपने शोध को सही ठहराने के लिए किसी विषय पर मौजूदा साहित्य की पहचान करने और उसकी आलोचना करने के लिए साहित्य समीक्षा तैयार की जाती है। एक साहित्य समीक्षा के अंतर्गत किसी विषय पर वर्तमान शोध के महत्वपूर्ण विन्दुओं पर विश्लेषण की जाती है और उस विश्लेषण के आधार पर आपने शोध उद्देश्य को निर्धारित करना होता है। एक अच्छी साहित्य समीक्षा की कुंजी शोध प्रक्रिया का प्रलेखन होता है। शोध अध्ययन को रेखांकित करने वाले विश्लेषण को साहित्य समीक्षा कहा जाता है

साहित्य समीक्षा का अर्थ 

शोध में साहित्य का अर्थ किसी शोध-विषय के विशेष क्षेत्र के ज्ञान से है। जिसके अन्तर्गत सैद्धांतिक, वैज्ञानिक, व्यावहारिक शोध अध्ययन अंतर्निहित है। समीक्षा का अर्थ शोध के विशेष क्षेत्र में पूर्व में हुए कार्यों का पुनर्निरीक्षण करने से है। साहित्य पुनर्निरीक्षण के लिए किसी विशिष्ट विषय संबंधी पूर्व में हुए कार्यों की समीक्षा करना होता है। साहित्य समीक्षा के माध्यम से शोधकर्ता यह निश्चित करता है कि उसके द्वारा प्रस्तावित शोध से संबंधित विषय पर विचारणीय कार्य पहले भी हो चुका है या नहीं, इसके लिए वह शोध-विषय क्षेत्र से संबंधित विविध साहित्य का अवलोकन करता है।

साहित्य समीक्षा की आवश्यकता

साहित्य समीक्षा की आवश्यकता शोध कार्य की योजना बनाने में, शोध समस्या के चयन करने में, अपने शोध अध्ययन के लिए परिकल्पना के निर्माण करने में निहित है। यह शोधकर्ता को एक दिशा प्रदान करती है। साथ ही शोधकर्ता अपने साहित्यिक समीक्षा के आधार पर ही अपनी शोध परिकल्पना तैयार कर एक नवीन ज्ञान को सृजित व अन्वेषित करता है। साहित्य की समीक्षा शोध समस्या के चयन से पहले प्रारंभ करना होता है, ताकि शोधकर्ता को शोध समस्या की पहचान और चयन करने में सहायता मिल सके। एक शोधकर्ता को अपने विषय क्षेत्र से संबंधित विषय साहित्य के लिए निरंतर पुस्तकालय एवं सूचना केंद्र से संपर्क में रहकर नवीन और अद्यतन ज्ञान प्राप्त करते रहना होता है, ताकि अपने शोध अध्ययन को वैज्ञानिक और नवीनता प्रदान कर सके।

साहित्य समीक्षा के उद्देश्य

  • साहित्य समीक्षा शोध परिकल्पना के लिए साधन प्रदान करती है, जो शोधकर्ता को शोध परिकल्पना के निर्माण में सहायता प्रदान करती है। 
  • यह शोध परिकल्पनाए प्रदान करती है जो नए शोध के लिए उपयोगी एवं शोध समस्या के चयन में सहायता प्रदान करती है।
  • यह शोध समस्या के समाधान के उचित शोध प्रविधि, प्रक्रिया, तथ्यों के साधन और सांख्यिकी तकनीक का सुझाव देती है।
  • यह परिणामों के विश्लेषीकरण में उपयोगी निष्कर्षों और तुलनात्मक तथ्यों को निर्धारित करती है। 
  • यह संबंधित अध्ययन के लिए एक उपयोगी निष्कर्ष निकालने में सहायता प्रदान करता है।
  • यह शोधकर्ता को निपुण और समान विद्वता को विकसित करने में सहायता प्रदान करता है।
  • यह प्रस्तुत की जाने वाली शोध विषय की जानकारी को गहराई से स्पष्ट करता है।

साहित्य समीक्षा के साधन या स्रोत

शोध के क्षेत्र में संबंधित साहित्य की समीक्षा करना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य होता है जिसके लिए हमें मुद्रित, अमुद्रित, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में उपलब्ध विशेष क्षेत्र से संबंधित ज्ञान और सूचना की खोज और समीक्षा की जा सकती है। इसके लिए निम्नलिखित प्रमुख स्रोतों का खोज, गहन अध्ययन, समीक्षा, पुनर्निरीक्षण करना आवश्यक ही नहीं वल्कि अपेक्षित है।

  • पाठ्य पुस्तकें (Books) – साहित्य समीक्षा के लिए विषय सबंधी पुस्तकें और पाठ्य पुस्तकें अध्ययन करना आवश्यक होता है जिसकी जानकारी भारतीय राष्ट्रीय ग्रंथसूची (आईएनबी), ब्रिटिश राष्ट्रीय ग्रंथसूची (बीएनबी) अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित कम्युलेटिव बुक इंडेक्स, बुक रिव्यू इंडेक्स से प्राप्त की जा सकती है।
  • सामयिकी प्रकाशन (Periodicals) (पत्रिकाएँ एवं जर्नल्स) – किसी विषय के बारे में नवीन जानकारी प्रदान करने में पत्रिकाओं और जर्नल्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शोध एवं प्रगति के लिए किसी विषय की नवीन सूचना से अवगत होना आवश्यक होता है पत्रिकाएं सामान्यतः साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक रूप में प्रकाशित होती है शोध में साहित्यिक समीक्षा हेतु संबंधित शोध पत्रिकाएं व जर्नल का नियमित रूप से अध्ययन करना होता है।
  • सारांश पत्रिकाएं (Abstract Periodicals) – सारांश पत्रिका में शोधकर्ता एवं वैज्ञानिकों के लिए सम्बंधित विषय में नवीनतम वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति एवं विकास के बारे में संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध होती है। विभिन्न पत्रिकाओं में विद्वानों के प्रकाशित शोध आलेख से सारांश पत्रिका तैयार किया जाता है, जो शोध में अत्यधिक सहायक होता है। सारांश पत्रिकाओं की सहायता से शोधकर्ता अपने विषय वस्तु से संबंधित आवश्यक विषय सामग्री शीघ्रता पूर्वक प्राप्त कर सकता है। जैसे – Chemical abstracts, बायोलॉजिकल सारांश पत्रिका, एजुकेशनल सारांश पत्रिका आदि।
  • विश्वकोश (Encyclopaedia)विश्वकोश में विशेषज्ञों द्वारा लिखे गए विभिन्न विषयों पर संक्षिप्त आलेख होते हैं जिसके अंतर्गत संबंधित विषय क्षेत्र का संक्षिप्त एवं सार सूचनाएं उपलब्ध होती है। विश्वकोश एक प्रकार की आदर्श पुस्तक होती है क्योंकि यह ज्ञान का ऐसा स्रोत है जो ज्ञान जगत के सभी विषयों से संबंधित सूचनाएं प्रदान करती है। इसमें विषयों से संबंधित वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक और ऐतिहासिक, सचित्र, चार्ट सहित संक्षिप्त विवरण होता है। संदर्भ स्रोतों में विश्वकोश का प्रमुख स्थान है। जिसका उपयोग सर्वाधिक पाठकों द्वारा किया जाता है। जैसे इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना, इंटरनेशनल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइंस आदि।
  • शब्दकोश (Dictionary) – शब्दकोश किसी विषय की बोधगम्यता अथवा किसी प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम शब्द या पद का अभिप्राय या तात्पर्य तथा अवधारणाओं से अवगत होना पड़ता है और उसे परिभाषित करना पड़ता है, इसके लिए हमें शब्दकोश का अवलोकन करना आवश्यक होता है। अर्थात शब्द या पदों के तात्पर्य, व्युत्पत्ति, परिभाषा, प्रयोग आदि की जानकारी के लिए जिस ग्रंथ का हमें अवलोकन करना होता है, उसे शब्दकोश संदर्भ ग्रंथ कहा जाता है। शब्दकोश शब्दों के भंडार होता है जो शोध के क्रम में काफी सहायक होता है। किसी विशेष विषय से संबंधित शब्दकोश का प्रकाशन किया जाता है।
  • लघु-शोध प्रबंध एवं शोध-प्रबंध (Dissertations and Thesis) – शोध-प्रबंध का संग्रह ‘शोधगंगाइन्फ्लिबनेट द्वारा स्थापित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक थीसिस और शोध निबंधों का डिजिटल भंडार है। यह शोधार्थियों को पीएचडी थीसिस जमा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है और साथ ही पूरे विद्वान समुदाय और शोध विद्वानों के लिए खुले तौर पर उपलब्ध है। इसमें विभिन्न विषयों के शोध की प्रस्तुतीकरण का समावेश होता है, जो शोध विषय से संबंधित शोध-प्रबंध का पुनर्निरीक्षण के लिए प्रमुख साधन है।

इस प्रकार पुस्तकें पत्रिकाएँ एवं जर्नल्स, सारांश पत्रिकाएं, विश्वकोश, शब्दकोश, लघु-शोध प्रबंध एवं शोध-प्रबंध मुद्रित व इलेक्ट्रॉनिक्स स्रोत के माध्यम से शोधकर्ता अपने शोध विषय से संबंधित साहित्य की खोज और पुनर्निरीक्षण कर सकने में सक्षम होता है. विविध सूचना स्रोतों की खोज तथा समीक्षा शोध अध्ययन को दिशा और गति देने में उपयोगी सिद्ध होता है.

साहित्य समीक्षा की उपयोगिता व महत्त्व

  • विचारणीय शोध के लिए निर्देशों और संदर्भों की धारणा को स्पष्ट करती है.
  • समस्या क्षेत्र के शोध की वस्तुस्थिति को समझने में मदद करता है.
  • शोध प्रविधियों तथा तथ्यों के विश्लेषण के लिए आधार प्रदान करती है.  
  • विचारणीय शोध की सफलता और निष्कर्ष की उपयोगिता और महत्ता की संभावनाओं को आंकना में मदद करता है.  
  • शोध की परिभाषा, सीमा और परिकल्पना का निर्धारण कर आवश्यक विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है.  

FAQ

विश्वकोश एक प्रकार की आदर्श पुस्तक होती है क्योंकि यह ज्ञान का ऐसा स्रोत है जो ज्ञान जगत के सभी विषयों से संबंधित सूचनाएं प्रदान करती है। जिसमें सभी विषयों पर संक्षिप्त विवरण आलेख के रूप में वर्णानुक्रम में व्यवस्थित होते हैं। विषयों से संबंधित वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक, ऐतिहासिक, सचित्र, चार्ट सहित विवरण होते हैं। सामान्य विश्वकोश जो किसी एक विशिष्ट विषय से संबंधित न होकर संपूर्ण जानकारी विभिन्न विषयों से संबंधित प्रदान करती है।  जैसे – इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना। किसी विशिष्ट विषय से संबंधित संपूर्ण ज्ञान की जानकारी प्रदान करने वाली विश्वकोश को विशिष्ट विश्वकोश कहा जाता है। जैसे – इंटरनेशनल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइंस, इनसाइक्लोपीडिया ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी आदि।

भारतीय राष्ट्रीय ग्रंथसूची (आईएनबी) राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता, द्वारा पुस्तक वितरण अधिनियम, 1954 के प्रावधान के तहत प्राप्त पुस्तकों के आधार पर अंग्रेजी सहित भारत की 14 प्रमुख भाषाओं में प्रकाशित एक ग्रंथसूची है।

तर्कपूर्ण समीक्षा में पहले से ही स्थापित एक तर्क, गहराई से अंतर्निहित धारणा या दार्शनिक समस्या का समर्थन या खंडन करने के लिए चुनिंदा साहित्य की जांच करता है। इसका उद्देश्य साहित्य के एक निकाय को विकसित करना है जो एक विरोधाभासी दृष्टिकोण स्थापित करता है।

एकीकृत समीक्षा शोध का एक रूप माना जाता है जो एक विषय पर एकीकृत तरीके से प्रतिनिधि साहित्य की समीक्षा, समालोचना और विश्लेषण करता है। एक अच्छी तरह से की गई एकीकृत समीक्षा स्पष्टता और प्रतिरूप के संबंध में प्राथमिक शोध के समान मानकों को पूरा करती है।

ऐतिहासिक समीक्षा समय की अवधि के दौरान शोध की जांच करने पर केंद्रित होती है, अक्सर पहली बार साहित्य में एक मुद्दा, अवधारणा, सिद्धांत, घटना उभरती है, इसका उद्देश्य अत्याधुनिक विकास के साथ परिचितता दिखाने और भविष्य के शोध के लिए संभावित दिशाओं की पहचान करने के लिए एक ऐतिहासिक संदर्भ में शोध करना है।

पद्धति संबंधी समीक्षा शोधकर्ताओं को वैचारिक स्तर से लेकर व्यावहारिक दस्तावेजों तक व्यापक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। कई नैतिक मुद्दों को भी उजागर करने में मदद करता है, जिनके बारे में हमें पता होना चाहिए और विचार करना चाहिए क्योंकि हमें अपने शोध अध्ययन को प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण बनाना होता है।

सुनियोजित समीक्षा में एक स्पष्ट रूप से तैयार किए गए शोध प्रश्न के प्रासंगिक मौजूदा साक्ष्य का अवलोकन शामिल है, जो प्रासंगिक शोध की पहचान करने और गंभीर रूप से मूल्यांकन करने के लिए पूर्व-निर्दिष्ट और मानकीकृत तरीकों का उपयोग करता है। एसे समीक्षात्मक अध्ययनों से डेटा एकत्र करने, रिपोर्ट तैयार करने और विश्लेषण करने में सहायता मिलती है।

सैद्धांतिक समीक्षा का उद्देश्य किसी मुद्दे, अवधारणा, सिद्धांत, घटना के संबंध में सैद्धांतिक जांच करना होता है। सैद्धांतिक साहित्य समीक्षा यह स्थापित करने में मदद करती है कि कौन से सिद्धांत पहले से मौजूद हैं, उनके बीच संबंध क्या है, और नई परिकल्पना विकसित करने के लिए सैद्धांतिक साहित्य समीक्षा की जाती है। सैद्धांतिक साहित्य समीक्षा का उपयोग उपयुक्त सिद्धांतों की कमी को स्थापित करने में मदद करने के लिए किया जाता है या यह प्रकट करता है कि नई या उभरती हुई शोध समस्याओं को समझाने के लिए वर्तमान सिद्धांत अपर्याप्त हैं।

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