तर्कवाक्यों का विरोध
जब दो तकवाक्यों में उद्देश्य और विधेय एक समान हो किंतु उनमें केवल गुण का, केवल परिमाण का, या गुण तथा परिमाण दोनों का अंतर पाया जाता है तो उन्हें तर्कवाक्यों का विरोध कहते हैं।
(Opposition of proposition is a related of two proposition having the same subject and predicate but difference in either quality only, quantity only or in quality and quantity both.)
उक्त परिभाषा के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि वाक्यों का विरोध उन तर्कवाक्यों के बीच होता है जिसका उद्देश्य और विधेय एक समान होते हैं, परंतु दोनों तर्कवाक्यों में गुण का या परिमाण का, या गुण तथा परिमाण दोनों का अंतर होता है।
तर्कवाक्यों के विरोध के प्रकार
1. विपरीत विरोध (Contrary Opposition)
जब दो पूर्णव्यापी तर्कवाक्यों के उद्देश्य और विधेय एक समान हो लेकिन दोनों में केवल गुण का अंतर हो तो वैसे संबंध को विपरीत विरोध कहा जाता है।
यह संबंध A और E तर्कवक्य के बीच होता है। अर्थात दोनों पूर्णव्यापी तर्कवाक्य है, किंतु A तर्कवाक्य भावात्मक और E तर्कवाक्य निषेधात्मक होता है। जैसे –
All men are mortal – A
No men are mortal – E
विपरीत विरोध में
- यदि एक तर्कवक्य सत्य तो दूसरा तर्कवाक्य असत्य होती है। किंतु यदि एक तर्कवाक्य असत्य है तो दूसरा तर्कवाक्य संदिग्ध होगा अर्थात सत्य भी हो सकता है या असत्य।
2. अनुविपरीत विरोध (Sub-Contrary Opposition)
जब दो अंशव्यापी तर्कवाक्यों के उद्देश्य और विधेय एक समान हो लेकिन दोनों में केवल गुण का अंतर हो तो वैसे संबंध को अनुविपरीत विरोध कहा जाता है।
यह संबंध I और O तर्कवक्य के बीच होता है। अर्थात दोनों अंशव्यापी तर्कवाक्य है, किंतु I तर्कवाक्य भावात्मक और O तर्कवाक्य निषेधात्मक होता है।जैसे –
Some men are mortal – I
Some men are not mortal – O
अनुविपरीत विरोध में
- यदि एक तर्कवक्य सत्य तो दूसरा तर्कवाक्य संदिग्ध होगा अर्थात सत्य भी हो सकता है या असत्य। किंतु यदि एक तर्कवाक्य असत्य है तो दूसरा तर्कवाक्य सत्य होगा।
3. उपाश्रित विरोध (Subaltern Opposition)
जब दो तर्कवाक्यों के उद्देश्य और विधेय एक समान हो लेकिन दोनों में केवल परिमाण का अंतर हो तो वैसे संबंध को उपाश्रित विरोध कहा जाता है। यह विरोध संबंध AI एवं EO तर्कवक्य के बीच होता है। अर्थात AI तर्कवाक्य भावात्मक है, किंतु A तर्कवाक्य पूर्णव्यापी और I तर्कवाक्य अंशव्यापी है। EO तर्कवाक्य निषेधात्मक है, किंतु E तर्कवाक्य पूर्णव्यापी और O तर्कवाक्य अंशव्यापी है। जैसे –
All men are rich – A
Some men are rich – I
No men are rich – E
Some men are not rich – O
उपाश्रित विरोध में –
- यदि पूर्णव्यापी तर्कवाक्य सत्य है तो अंशव्यापी तर्कवाक्य भी सत्य होगा।
- यदि पूर्णव्यापी तर्कवाक्य असत्य है तो अंशव्यापी तर्कवाक्य संदिग्ध होगा अर्थात सत्य भी हो सकता है या असत्य।
- यदि अंशव्यापी तर्कवाक्य असत्य है तो पूर्णव्यापी तर्कवाक्य भी असत्य होगा।
- यदि अंशव्यापी तर्कवाक्य सत्य है तो पूर्णव्यापी तर्कवाक्य संदिग्ध होगा अर्थात सत्य भी हो सकता है या असत्य।
4. व्याधातक विरोध (Contradictory Opposition)
जब दो तर्कवाक्यों के उद्देश्य और विधेय एक समान हो लेकिन दोनों में गुण तथा परिमाण दोनों का अंतर हो तो वैसे संबंध को व्याधातक विरोध कहा जाता है।व्याधातक विरोध का संबंध AO एवं EI तर्कवक्य के बीच होता है। यहां A तर्कवाक्य पूर्णव्यापी भावात्मक है, किंतु O तर्कवाक्य अंशव्यापी निषेधात्मक है। E तर्कवाक्य पूर्णव्यापी निषेधात्मक है, किंतु I तर्कवाक्य अंशव्यापी भावात्मक है। जैसे –
All men are rich – A
Some men are not rich – O
No men are rich – E
Some men are rich – I
व्याधातक विरोध में,
- यदि कोई एक तर्कवाक्य सत्य है तो दूसरा तर्कवाक्य असत्य हाेगा और यदि कोई एक तर्कवाक्य असत्य है तो दूसरा तर्कवाक्य सत्य हाेगा। अर्थात् दोनों तर्कवाक्य न तो एक साथ सत्य हो सकता है, न ही एक साथ असत्य।
इस प्रकार
AE एक दूसरे के विपरीत है,
IO एक दूसरे के अनुविपरीत है,
AI तथा EO में उपाश्रित का संबंध है,
AO और EI एक दूसरे के व्याधात है।
तर्कवाक्य विरोध पर आधारित अनुमान
- विपरीत विरोध में यदि एक सत्य है तो दूसरा असत्य होगा, यदि एक असत्य है तो दूसरा संदिग्ध होगा।
- अनुविपरीत विरोध में यदि एक असत्य है तो दूसरा सत्य होगा, यदि एक सत्य है तो दूसरा संदिग्ध होगा।
- उपाश्रित विरोध में यदि पूर्णव्यापी तर्कवाक्य सत्य है तो अंशव्यापी तर्कवाक्य सत्य होगा, यदि पूर्णव्यापी असत्य है तो अंशव्यापी संदिग्ध होगा, यदि अंशव्यापी असत्य है तो पूर्णव्यापी असत्य होगा और यदि अंशव्यापी सत्य है तो अंशव्यापी संदिग्ध होगा अर्थात सत्य या असत्य हो सकता है।
- व्याधातक विरोध में यदि एक सत्य है तो दूसरा असत्य होगा, यदि एक असत्य है तो दूसरा सत्य होगा।