Structure of Syllogism – न्याय की संरचना

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Structure of Syllogism – न्याय की संरचना: मध्याश्रित अनुमान का शाब्दिक अर्थ है वह अनुमान जो मध्यवर्ती पद पर आधारित हो। अरस्तु ने मध्याश्रित अनुमान को न्याय (Syllogism) कहा है। न्याय (Syllogism) एक तर्क प्रणाली है जिसमें दो या अधिक आधार वाक्यों (Premises) के आधार पर एक निष्कर्ष (Conclusion) निकाला जाता है। यह तर्क की निगमनात्मक प्रक्रिया का आधार है, जहाँ निष्कर्ष आवश्यक रूप से उन आधार वाक्यों पर निर्भर करता है।

न्याय क्या है? What is Syllogism?

न्याय अर्थात् मध्याश्रित अनुमान उस अनुमान को कहा जाता है, जो मध्यवर्ती पद पर आधारित होता है जिसमें एक से अधिक आधार वाक्यों से निष्कर्ष निकाला जाता है।

Syllogism is a form of mediate inference in which on the basis of a middle term from two premises taken together, conclusion is drawn.

न्याय की संरचना (Structure of Syllogism)

1. एक न्याय में केवल तीन आधार वाक्य होते हैं दो आधार वाक्य और एक निष्कर्ष।

  A syllogism has only three premises two premises and a conclusion.

  • वृहत आधार वाक्य (Major Premise) – सामान्य कथन
  • लघु आधार वाक्य (Minor Premise) विशेष कथन
  • निष्कर्ष (Conclusion) – जो दोनों आधार वाक्योंसे निकाला गया तर्कपूर्ण निष्कर्ष

उदहारण –

सभी मनुष्य मरणशील हैं।
सुकरात एक मनुष्य है।
अतः सुकरात मरणशील है।

  • All men are mortal.
  • Socrates is a man.
  • Therefore Socrates is mortal.
  • वृहत आधार वाक्य (Major Premise) – न्याय के प्रथम आधार वाक्य जिसमें वृहत पद होता है, उसे वृहत आधार वाक्य कहते हैं।
  • लघु आधार वाक्य (Minor Premise) – न्याय के दूसरा आधार वाक्य जिसमें लघु पद होता है, उसे लघु वाक्य कहते हैं।
  • निष्कर्ष (Conclusion) – न्याय के तीसरा आधार वाक्य जिसमें लघु पद एवं वृहत पद दोनों होता है, उसे निष्कर्ष वाक्य कहते हैं।

2. किसी भी न्याय में केवल तीन पद होते हैं।

There are only three terms in any syllogism.

  • वृहत पद (Major Term)
  • लघु पद (Minor Term) एवं
  • मध्यवर्ती पद (Middle Term)
  • वृहत पद – वृहत आधार वाक्य में होता है और निष्कर्ष में विधेय के स्थान पर होता है।
  • लघु पद – लघु आधार वाक्य में होता है और निष्कर्ष में उद्देश्य के स्थान पर होता है।
  • मध्यवर्ती पद –  जो दोनों आधार वाक्यों (वृहत वाक्य और लघु वाक्य) में समान रूप से मौजूद होता है किंतु निष्कर्ष में नहीं रहता है, उसे मध्यवर्ती पद कहते हैं।

एक न्याय में केवल तीन पद (वृहत पद, लघु पद और मध्यवर्ती पद) होते हैं और प्रत्येक पद का व्यवहार दो बार होता है। मध्यवर्ती पद दोनों आधार वाक्यों में होता है, किंतु निष्कर्ष में नहीं होता। लघु पद, लघु आधार वाक्य में होता है और निष्कर्ष में उद्देश्य के स्थान पर होता है। वृहद पद, वृहद आधार वाक्य में होता है, जो निष्कर्ष में विधेय के स्थान पर होता है।

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