किसी कक्षा में विषय वस्तु का प्रदर्शन शैली शिक्षण विधि है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु सूचना तथा ज्ञान को संचारित करने की विधि शिक्षण विधि है। शिक्षण विधि का अर्थ समान्यतः शिक्षण प्रक्रिया की योजना तथा नीति को क्रियान्वित करने से लिया जाता है। शिक्षण अभिरुचि मुख्यतः पहलू होते हैं- किसी विषय वस्तु के प्रदर्शन की योजना बनाना तथा अध्येताओं में बौद्धिक विकास एवं व्यवहारिक परिवर्तन लाना। यह विधि तार्किक एवं वैज्ञानिक हो सकती है।
व्याख्यान विधि (Lecture Method)
व्याख्यान विधि शिक्षण की महत्वपूर्ण एवं पुरानी शिक्षण विधि है। यह ऑटोक्रेटिक शिक्षण विधि है। यह ज्ञान संचार का सशक्त माध्यम है। इस विधि में शिक्षक सक्रिय तथा विद्यार्थी निष्क्रिय होते हैं। लेकिन शिक्षक प्रश्नोत्तर तकनीक को अपनाकर कलात्मक ढंग से छात्रों पर प्रभावकारी नीति अपनाकर शिक्षण को बोध्यगम बनाया जाता है। शिक्षण की प्रक्रिया में व्याख्यान विधि को लेकर निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है –
- विषय शीर्षक संपूर्ण विषय को प्रदर्शित करें
- प्रदर्शन की कला में प्रवीणता
- छात्रों में सुनने की आदत
- एक विषय वस्तु को अन्य रोचक विषय वस्तु के साथ जोड़ने की कला
- नए ज्ञान को पुराने ज्ञान से जोड़ने की कला
यद्यपि व्याख्यान विधि शिक्षण की प्रभाव कारी शिक्षण विधि है परंतु शिक्षकों को व्याख्यान को रोचक बनाने के लिए शिक्षण उपकरण आदि का प्रयोग किया जाना अनिवार्य होता है। व्याख्यान के दौरान छात्रों से प्रश्नोत्तर करना आवश्यक होता है। ताकि अध्येता विषय वस्तु में रुचि ले।
पाठ प्रदर्शन विधि ( Lesson Demonstration Method)
पाठ प्रदर्शन शिक्षण विधि एक परंपरागत शिक्षण विधि है जिसे तकनीकी स्कूल तथा प्रशिक्षण संस्थानों में प्रयोग किया जाता है। पाठ प्रदर्शन विधि में सर्वप्रथम किसी विषय वस्तु को निर्धारित कर उसके उद्देश्य का निर्धारण करना। दूसरे चरण में प्रश्नोत्तरी तकनीक को अपनाकर प्रशिक्षु में जिज्ञासा को जागृत करना तथा अंतिम चरण में पाठ के विषय वस्तु को प्रदर्शन कर उसका मूल्यांकन किया जाता है। इस विधि का प्रयोग सामान्यतः प्रशिक्षण के लिए होता है जिसमें अ-प्रशिक्षित, अ-अनुभवी लोग भाग लेते हैं। यह विधि शिक्षक-छात्रों में पाठ संबंधी विषय में प्रवीणता हेतु बहुत ही उपयोगी विधि है।
प्रश्नोत्तर विधि (Question-Answer Method)
शिक्षण में प्रश्नोत्तर विधि प्रभावशाली शिक्षण विधि है जिसके माध्यम से प्रशिक्षुओं या अध्येताओं को विषयों में जिज्ञासा एवं रुचि को विकसित किया जाता है और कक्षा का वातावरण शांतिपूर्ण एवं शिक्षण प्रभावशाली होता है। प्रश्नोत्तर विधि के माध्यम से अध्येताओं में विषय के प्रति जिज्ञासा पैदा किया जा सकता है साथ ही साथ नए प्रश्नों को पूछकर अध्येताओं की जांच की जा सकती हैं। शिक्षक अपना मूल्यांकन कर शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली एवं उपयोगी बना सकता है। प्रश्नोत्तरी विधि को अपनाकर अध्येताओं में विषय अभिरुचि पैदा करने तथा सीखने की प्रबल इच्छा शक्ति को जागृत करना होता है। शिक्षक मुख्यतः तीन स्तर पर अर्थात प्रथम निरीक्षण, दूसरा अनुभव, तीसरा जांच, की प्रक्रिया निर्धारित कर विषय वस्तु को रोचक एवं बोध्यगम बनाते है। शिक्षक अपने पाठ को विषयों से संबंधित प्रश्न को तैयार कर शिक्षण प्रशिक्षण की प्रक्रिया प्रभावी बनाते है।