इस आलेख में अनुमान (Inference) क्या है? अनुमान के प्रकार – निगमनात्मक अनुमान (Deductive Inference/ Deduction) और आगमनात्मक अनुमान (Inductive Inference or Induction)। साक्षात अनुमान निगमनात्मक अनुमान के रूप है जिसके अन्तर्गत आवर्तन (Conversion) परिवर्तन (Obversion) प्रत्यावर्तन (Contraposition) विवर्तन (Inversion) महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
अनुमान (Inference) क्या है?
तर्कशास्त्र का विषय अनुमान है। अनुमान दो शब्दों से बना है – अनु+मान। अनु का अर्थ है बाद और मान का अर्थ है ज्ञान, इस प्रकार अनुमान का शाब्दिक अर्थ पश्चात ज्ञान है। जो ज्ञान अन्य ज्ञान पर आधारित हो उसे अनुमान कहते हैं। अनुमान प्रत्यक्ष ज्ञान पर आधारित होता है अर्थात प्रत्यक्ष के बाद जो ज्ञान होता है, वही अनुमान कहलाता है।अनुमान भाषा द्वारा व्यक्त एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें ज्ञात से अज्ञात की ओर निष्कर्ष निकाला जाता है। अर्थात् ज्ञात सत्य आधार वाक्य से अज्ञात सत्य निष्कर्ष निकाला जाता है, जिसे अनुमान कहते हैं। अनुमान नया ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है अर्थात अनुमान में नवीन तथा नए ज्ञान का होना आवश्यक है।अनुमान की प्रक्रिया जब भाषा में अभिव्यक्त होती है, उससे तर्क (Argument) कहते हैं। जैसे –
All students are scholar.
Some teachers are student.
Some teachers are scholar.
इस तर्क में प्रथम दो आधार वाक्य हैं जिन्हें सत्य मान लिया गया है और अंतिम वाक्य निष्कर्ष निकाला गया है।
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अनुमान के प्रकार
अनुमान दो प्रकार के होते हैं –
- निगमनात्मक अनुमान (Deductive Inference or Deduction) और
- आगमनात्मक अनुमान (lnductive Inference or Induction)
निगमनात्मक अनुमान दो प्रकार के होते हैं –
- साक्षात अनुमान (Immediate Inference)
- मध्याश्रित अनुमान (Mediate Inference)
मध्याश्रित अनुमान जिसे न्याय (Syllogism) कहा जाता है। जो मध्यवर्ती पद पर आधारित होता है।
साक्षात अनुमान (Immediate Inference)
जो ज्ञान हमारी इंद्रियां अर्थात आंख, नाक, कान, जिह्वा और त्वचा और वस्तुओं के सनीकर्ष से प्राप्त होता है, उसे साक्षात ज्ञान कहते हैं। तर्कशास्त्र के अन्तर्गत एक तर्कवाक्य को आधार वाक्य के रुप में सत्य मानकर यदि निष्कर्ष निकाला जाता है तो उसे साक्षात अनुमान कहते हैं। यहां एक तर्कवाक्य आधार वाक्य के रूप में प्रयुक्त होता है और दूसरा तर्कवाक्य निष्कर्ष होता है। जैसे –
सभी मनुष्य मरणशील है।
कुछ मरणशील मनुष्य है।
- पश्चात दार्शनिक मिल और बेन का कहना है कि साक्षात अनुमान को अनुमान का प्रकार नहीं मानना चाहिए क्योंकि इसमें केवल शब्द/पद अर्थात उद्देश्य और विधेय का स्थान परिवर्तन होता है, इसके द्वारा कोई ज्ञान नया ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। परंतु निगमन के आधार वाक्यों में कुछ भाव छुपा होता है, उसे निष्कर्ष में बतलाया जाता है। और छिपा हुआ भाव को बतलाना निश्चित ही एक नया ज्ञान है। अतः कहा जा सकता है कि साक्षात अनुमान केवल शब्दों, पदों अर्थात उद्देश्य और विधेय का हेर-फेर या स्थान परिवर्तन मात्र नहीं है, क्योंकि इसमें हम अपने मनोनुकूल निष्कर्ष निकालते हैं, साथ ही साथ इसके द्वारा नया ज्ञान भी प्राप्त होता है, अतः साक्षात अनुमान को अनुमान का प्रकार मानना न्याय संगत प्रतीत होता है।
साक्षात अनुमान के प्रकार
- आवर्तन (Conversion)
- परिवर्तन (Obversion)
- प्रत्यावर्तन (Contraposition)
- विवर्तन (Inversion)
आवर्तन, परिवर्तन, प्रत्यावर्तन, विवर्तन – इन चारों को निष्कर्षण (Eduction) कहते हैं।
निष्कर्षण (Eduction) – जब किसी दिए हुए एक आधार वाक्य से निष्कर्ष के रूप में दूसरा वाक्य निकालते हैं तो उसे निष्कर्षण कहते हैं। निष्कर्ष के उद्देश्य और विधेय आधार वाक्य के उद्देश्य और विधेय से भिन्न होते हैं अर्थात उद्देश्य और विधेय सिर्फ अपना स्थान परिवर्तन करता है।
आवर्तन (Conversion)
आवर्तन साक्षात अनुमान का एक प्रकार है जिसमें आधार वाक्य के उद्देश्य और विधेय का निष्कर्ष में नियमानुसार स्थान परिवर्तन किया जाता है।
आवर्तन का नियम
- आधार वाक्य का उद्देश्य निष्कर्ष का विधेय होता है और आधार वाक्य का विधेय निष्कर्ष का उद्देश्य होता है।
- आधार वाक्य और निष्कर्ष वाक्य दोनों का गुण एक रहता है। अर्थात् आधार वाक्य यदि भावात्मक है तो निष्कर्ष भी भावात्मक होगा और यदि आधार वाक्य निषेधात्मक है तो निष्कर्ष भी निषेधात्मक होगा अर्थात आवर्तन में गुण परिवर्तन नहीं किया जाता है।
- जो पद आधार वाक्य में व्याप्त नहीं है उसे निष्कर्ष में व्याप्त नहीं कर सकते है।
पदों के व्याप्ति के नियम
आवर्तन के नियम के अनुसार
- A तर्कवाक्य का आवर्तन I में,
All teachers are scholar – A
Some scholar are teachers – I
- E तर्कवाक्य का आवर्तन E में,
No teachers are scholar – E
No scholar are teachers – E
- I तर्कवाक्य का आवर्तन I में,
Some teachers are scholar – I
Some scholar are teachers – I
- O तर्कवाक्य का आवर्तन नहीं होता है।
Some teachers are not scholar – O
Some scholar are not teachers – O
- O तर्कवाक्य का आवर्तन नहीं किया जा सकता है क्योंकि आवर्तन के नियम के अनुसार जो पद आधार वाक्य में व्याप्त नहीं है उसे निष्कर्ष में व्याप्त नहीं कर सकते है। उपरोक्त उदाहरण में ‘Teacher’ पद आधार वाक्य में उद्देश्य के स्थान पर होने के कारण अव्याप्त है किंतु निष्कर्ष में ‘Teacher’ पद विधेय के स्थान पर होने के कारण व्याप्त हो जाता है। (व्याप्ति के नियमानुसार) यह आवर्तन के नियम के विरुद्ध होने के दोषपूर्ण हो जाता है। अतः O तर्कवाक्य आवर्तन नहीं हो सकता है।
- आधार वाक्य तथा निष्कर्ष दोनों का परिमाण एक हो तो उसे सरल आवर्तन कहते हैं। अपवाद स्वरूप A तर्कवाक्य का आवर्तन A में हो सकता है। यदि आधार वाक्य का उद्देश्य और विधेय दोनों की वस्तुवाचकता समान हो। नियमानुसार, सामान्यतः A तर्कवाक्य का आवर्तन I तर्कवाक्य में किया जाता है।
प्रतिवर्तन (Obversion)
प्रतिवर्तन साक्षात अनुमान का एक प्रकार है जिसमें आधार वाक्य को प्रतिवर्त्य (Obvertend) तथा निष्कर्ष को प्रतिवर्त (Obverse) कहते हैं।
प्रतिवर्तन का नियम
- आधार वाक्य तथा निष्कर्ष दोनों का उद्देश्य (Subject) एक रहता है।
- निष्कर्ष का विधेय (Predicate) आधार वाक्य के विधेय का व्याघातक पद (Contraditory term) होता है।
- आधार वाक्य (प्रतिवर्त्य – Obvertend) तथा निष्कर्ष (प्रतिवर्त – Obverse) दोनों के गुण (Quality) में अन्तर होता है। अर्थात यदि आधार वाक्य भावात्मक है तो निष्कर्ष निषेधात्मक होगा और यदि आधार वाक्य निषेधात्मक है तो निष्कर्ष भावात्मक होगा
- आधार वाक्य (प्रतिवर्त्य – Obvertend) तथा निष्कर्ष (प्रतिवर्त – Obverse) दोनों का परिमाण (Quantity) एक होता है। अर्थात यदि आधार वाक्य सामान्य (Universal) तर्कवाक्य है तो निष्कर्ष भी सामान्य (Universal) होगा और यदि आधार वाक्य विशेष (Particular) तर्कवाक्य है तो निष्कर्ष भी विशेष (Particular) होगा।
प्रतिवर्तन के नियम के अनुसार –
- A तर्कवाक्य का प्रतिवर्तन E में,
All teachers are scholar – A
No teachers are non-scholar – E
- E तर्कवाक्य का प्रतिवर्तन A में,
No teachers are scholar – E
All teachers are non-scholar – A
- I तर्कवाक्य का प्रतिवर्तन O में,
Some teachers are scholar – I
Some teachers are not non-scholar – O
- O तर्कवाक्य का प्रतिवर्तन I में
Some teachers are not scholar – O
Some teachers are non-scholar – I
(नोट – किसी भी पद में नॉन या नोट (non या not) लगाकर व्याघातक पद बनाया जाता है। जैसे Scholar पद का व्याघातक पद non-Scholar होता है।)
प्रत्यावर्तन (Contraposition)
प्रत्यावर्तन साक्षात अनुमान का एक प्रकार है, जिसमें आधार वाक्या से ऐसा निष्कर्ष निकाला जाता है जिसका उद्देश्य (Subject) आधार वाक्य के विधेय (Predicate) का व्याघाती पद (Contradictory term) होता है। निष्कर्ष का गुण आधार वाक्य से भिन्न होता है।
प्रत्यावर्तन कोई स्वतंत्र क्रिया नहीं है, यह प्रतिवर्तन (Obversion) तथा आवर्तन (Conversion) का मिला हुआ रूप है। प्रत्यावर्तन करने के लिए आधार वाक्य से पहले प्रतिवर्तन करते हैं और फिर उसका आवर्तन करते हैं। इस प्रकार प्रत्यावर्तन को आवर्तन-प्रतिवर्त (Converted-Obverse) भी कहा जाता है।
प्रत्यावर्तन का नियम
- प्रत्यावर्तन का नियम है कि पहले प्रतिवर्तन फिर आवर्तन यानी पहले प्रतिवर्तन की क्रिया की जाती है पुनः प्रतिवर्तन से आवर्तन की क्रिया सम्पन्न की जाती है। अर्थात आधार वाक्य से पहले प्रतिवर्तन निकालते हैं और तब प्राप्त प्रतिवर्तन से आवर्तन निकाला जाता है।
प्रत्यावर्तन के नियमानुसार
- A तर्कवाक्य का प्रत्यावर्तन E में,
All teachers are scholar – A
Obverse – No teachers are non-scholar – E
Converse – No non-scholar are teachers – E – Contraposition
इस उदाहरण में A तर्कवाक्य का पहले Obverse E तर्कवाक्य में किया गया फिर E तर्कवाक्य का Converse किया गया जो A तर्कवाक्य का Contraposition या Converted obverse है।
- E तर्कवाक्य का प्रत्यावर्तन I में,
No teachers are scholar – E
Obverse – All teachers are non-scholar – A
Converse – Some non-scholar are teachers – I – Contraposition
- O तर्कवाक्य का प्रत्यावर्तन I में,
Some teachers are scholar – O
Obverse – Some teachers are non-scholar – I
Converse – Some non-scholar are teachers – I – Contraposition
- I तर्कवाक्य का प्रत्यावर्तन नहीं होता है।
Some teachers are scholar – I
Obverse – Some teachers are not non-scholar – O
(आवर्तन के नियमानुसार O का Conversion संभव नहीं होता है)